लेबर 2500 रुपए प्रति एकड़ में धान की रोपाई कर रही है(News18)
रोहतक. गेहूं की कटाई के बाद खेतों में धान की फसल लगनी शुरू हो चुकी है, लेकिन इस बार फिर से किसानों पर कोरोना की मार पड़ी (Corona hit farmers) है. डीजल के बढ़ते दाम और लेबर की कमी के कारण लागत बढ़ गई है. ऐसे हालात में किसान कर्ज लेकर खेती करने और अपने परिवार का गुजारा चलाने को मजबूर हैं. जून महीने की 15 तारीख के बाद किसान खेतों में धान की रोपाई कर रहे (Farmers planting paddy in the fields) हैं. लेकिन इस बार उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
प्रदेश में हुए लॉकडॉउन के कारण धान लगाने वाली लेबर अपने गांव लौट गई थी. अब उन्हें यूपी और बिहार राज्य से लाना पड़ रहा है. किसान बताते हैं कि लेबर को लाने का खर्च और धान लगाने के लिए लेबर ने अपनी मजदूरी बढ़ा दी है. लेबर 2500 रुपए प्रति एकड़ में धान की रोपाई कर रही है. इसके अलावा देश में बढ़ रहे डीजल के दामों का असर सीधे तौर से फसल की लागत पर पड़ रहा है.
खाद व दवाई के दामों में भी वृद्धि हुई
किसान महेंद्र और भूपेंद्र बताते हैं कि पिछले दो साल में लागत दोगुना हो चुकी है. नहर का पानी समय पर नहीं मिलने के कारण डीजल से ट्यूबवेल चलाना पड़ता है. फसल की बिजाई से लेकर कटाई तक लगभग 10 हजार रुपए के डीजल की खपत होती है. खाद व दवाई के दामों में भी वृद्धि हुई है.
सरकार फसल के दाम नहीं बढ़ा रही
उन्होंने बताया कि एक एकड़ में धान की लागत लगभग 32 हजार रुपए तक आती है, लेकिन मंडी में फसल के उचित दाम न मिलने की वजह से मुनाफा नहीं होता. किसान आज कर्ज लेकर खेती करता है, देश के लोगों का पेट भरता है. सरकार फसल के दाम नहीं बढ़ा रही, बल्कि अन्य चीजों के बढ़ते दामों के कारण लागत में बढ़ोतरी हो रही है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Haryana Farmers, Kisan, Kisan Bill