सोनीपत. पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाले की हत्या में दोनों हाथों से 6 गोलियां दागने वाला अंकित सेरसा छोटी सी उम्र में ही अपराध की दलदल में फंसता चला गया और शुरुआती दौर में ही इतना बड़ा अपराध कर डाला कि आज मां भी अपनी कोख पर लज्जा महसूस कर रही है. पिता कह रहे हैं कि उनके बेटे ने जो गलत कार्य किया है. उसके लिए सरकार चाहे उसे फांसी की सजा दे या गोली मारे उन्हें अब कोई भी मतलब नहीं है.
सोनीपत के गांव सेरसा में अंकित का जन्म हुआ है. मात्र 18 गज के घर में जीवन बसर करने वाले परिवार के 3 सदस्य दो वक्त की रोटी के लिए सुबह से शाम तक मजदूरी करते हैं. जसवीर के परिवार में चार बेटियां और दो बेटे हैं. तीन बेटियां शादीशुदा हैं तो वही एक बेटा माता-पिता के साथ मजदूरी करता है. जहां पूरा परिवार घर पर बैठा हुआ था. ऐसे में अंकित ने पूरे परिवार को घर बैठा कर खिलाने का जिम्मा उठाया और फैक्ट्री जाना शुरू हो गया, लेकिन यह सिलसिला मात्र 8 महीने ही चला. उसके बाद अंकित घर पर ही रहने लगा.
साढ़े 18 साल की उम्र में सेरसा गांव का अंकित बन गया अपराधी
अंकित सेरसा के अपराध की दुनिया में जाने के पीछे कौन सा महत्वपूर्ण कारण रहा है, यह भी आपको बताएंगे कि अंकित सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के प्रमुख शूटर में एक रहा है. महज साढ़े 18 साल के अंकित ने मोबाइल चोरी में नाम आने के बाद अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था. उसके बाद वह लॉरेंस बिश्नोई तक पहुंच गया.
पढ़ने-खेलने की उम्र कैसे अपराध की दुनिया में पहुंच गया अंकित
अंकित के माता-पिता ने बताया कि अप्रैल माह में अंकित ने परिवार से नाता तोड़ दिया था. जाने से पहले पिता के साथ कड़े शब्दों में काफी बहस हुई थी और वह यह कहकर घर से चला गया था कि मेरे जाने के बाद पुलिस तुम्हें तंग करे या कुछ और करे मुझे कोई मतलब नहीं है. इस लफ्ज़ को सुनकर पिता को डर सताया कि कहीं अंकित कुछ गलत ना कर बैठे. इसीलिए उसके पिताजी ने उसे बेदखल भी किया था.
घर छोड़ने से काफी पहले की बात है कि अंकित ने एक दिन पिता से मोबाइल फोन लेने की डिमांड की थी. उसके लिए पिता ने 5 हजार बड़ी मुश्किल से इकट्ठे करके दिए थे, लेकिन बहादुरगढ़ में दोस्तों के साथ मिलकर मोबाइल की वारदात में अंकित का भी नाम शामिल हुआ था और झज्जर की जेल में कुछ दिन बंद होने के बाद जेल से ही अंकित के संपर्क किसी बड़े गैंग के गुर्गे से हो गया. यहीं से अंकित सेरसा के अपराधिक दुनिया की शुरुआत होती है. उसके बाद घर से नाता तोड़ दिया और मात्र 3 महीने में अंकित ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग में शूटर के तौर पर शामिल हो गया. 3 महीनों की यह आपराधिक दुनिया उसके लिए उसके पूरे जीवन को बर्बाद कर गई.
अंकित की वजह से कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं बचे: मां
अंकित के पिता और मां ने बताया कि अंकित का गांव में अच्छा व्यवहार रहा है और घर में सबसे छोटा होने के कारण उसका लाड भी सबसे ज्यादा रहा है. अंकित का पढ़ाई में कभी भी मन नहीं लगा और पिता ने एक बार उसे पढ़ाने के लिए डंडे के पिटाई भी की थी और पैर पर डंडा लगने के कारण काफी गहरा घाव भी हुआ था, लेकिन अंकित ने जैसे-तैसे 9वीं पास की और दसवीं में फेल हो गया.
अंकित की मां ने बताया कि उन्होंने दिहाड़ी मजदूरी करके पेट भरते थे, लेकिन आज अंकित ने ऐसा दिन दिखा दिया है कि किसी के सामने मुंह दिखाने लायक नहीं बचे हैं. उनकी मां ने बताया कि छोटा बेटा अंकित शुरुआती तौर पर बहुत लाड़ला था, लेकिन अंकित सेरसा ने ऐसा काम कर दिया है अब मां का दिल पत्थर हो चुका है. गांव समाज में परिवार की बहुत इज्जत थी लेकिन अब सारी इज्जत खाक में मिल गई है और घर से बाहर निकलने में भी शर्म आ रही है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Lawrence Bishnoi, Sidhu Moose Wala, Sonipat news