'जनता जान चुकी है कि हरियाणा में दोबारा कौन करवाना चाहता है दंगा'

सुभाष बराला हरियाणा में बीजेपी के अध्यक्ष हैं
यशपाल मलिक के बयान पर बोले हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष सुभाष बराला, जनता जान चुकी है कि कौन करवाना चाहता है दंगा? जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष मलिक फिर से हरियाणा में सक्रिय हो गए हैं
- News18Hindi
- Last Updated: August 8, 2018, 10:17 PM IST
फरवरी 2016 में हुए जाट आरक्षण आंदोलन की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई है कि इसे लेकर बयानबाजियों का दौर फिर से शुरू हो गया है. अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने आरोप लगाया है कि ‘सरकार दंगा करवाना चाहती है, लेकिन जाट समाज ऐसा नहीं होने देगा.’ जबकि बीजेपी नेता कह रहे हैं कि ‘जनता अब जान चुकी है कि हरियाणा के अंदर दंगा कौन करवाना चाहता है?’
यशपाल मलिक इन दिनों हरियाणा में भाईचारा सम्मेलन कर रहे हैं. 12 अगस्त को जसिया (रोहतक) में मलिक का कार्यक्रम है. हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से करीब 40 पर जाट प्रभावी भूमिका में हैं, ऐसे में कोई भी पार्टी उन्हें नकार नहीं सकती. मलिक की गतिविधियों और जाट सियासत को लेकर हमने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और जाट लीडर सुभाष बराला से बातचीत की.
पेश है उनसे हुई लंबी बातचीत के खास अंश:
यशपाल मलिक ने कहा है कि ‘सरकार दंगा करवाना चाहती है,सवाल: जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने क्यों कहा है कि सरकार फिर दंगा करवाना चाहती है?
सुभाष बराला: ये तो हरियाणा की जनता जान चुकी है कि दंगा कौन करवाना चाहता है. चाहे यशपाल मलिक हों या फिर पर्दे के पीछे किन्हीं राजनीतिक दलों के नेता हों, इस प्रकार का कोई भी प्रयास करेगा तो उसे हम कामयाब नहीं होने देंगे. कोई दुस्साहस करेगा हरियाणा को अस्थिर करने का तो इस बार न तो सरकार और न ही हरियाणा की जनता उसे कामयाब होने देगी. प्रदेश की जनता ऐसे असामाजिक तत्वों की असलियत जान, पहचान चुकी है. उन्हें पता है कि हरियाणा के हित किसके हाथ में सुरक्षित हैं. इसके पीछे पहले भी बहुत सारी चीजें आईं हैं. कुछ लोगों के राजनैतिक स्वार्थ हैं. इसलिए वे लोग इस प्रकार की भाषा बोल रहे हैं.
सवाल: हरियाणा में बीजेपी की इमेज एंटी जाट और गैर जाट पॉलिटिक्स करने वाली पार्टी की है, फिर आप जाटों का वोट कैसे लेंगे?
सुभाष बराला: भाजपा किसी भी प्रकार की जात-बिरादरी की राजनीति नहीं करती है. केवल वही लोग इस प्रकार का माहौल खड़ा करना चाहते हैं जिन्होंने पहले भी जातिगत राजनीति की है और जिनको अब भी ऐसी सियासत अनुकूल लगती है. वे ही इस बात को फिर हवा दे रहे हैं. जहां तक बीजेपी की बात है तो हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद दर्शन को मानने वाले लोग हैं, इसलिए हम लोग जातिगत राजनीति कर ही नहीं सकते.
हरियाणा में बीजेपी के जाट लीडर सुभाष बराला
सवाल: लेकिन जब मनोहरलाल खट्टर को सीएम बनाया गया तब तो यही माना गया कि यहां गैर जाट की सियासत का उदय हुआ है?
सुभाष बराला: भारतीय जनता पार्टी के किसी नेता ने इस प्रकार का माहौल नहीं बनाया. सबको साथ लेकर कैसे चला जाए हम इसकी राजनीति करते हैं. हमारा नारा भी था सबका साथ, सबका विकास. जनकल्याण की नीतियां हमने सबके लिए बनाई हैं. जातिगत राजनीति विपक्ष के अनुकूल है इसलिए वो लोग इस प्रकार की बातों को हवा देते हैं.
सवाल: हरियाणा में जाटों का सबसे बड़ा नेता कौन है?
सुभाष बराला: कौन जाटों का नेता और कौन गैर जाटों का नेता, बीजेपी इस प्रकार की राजनीति नहीं करती है. इसलिए इस प्रकार के सवालों का मेरे लिए कोई अर्थ नहीं है.
सवाल: आपकी पार्टी के सांसद राजकुमार सैनी ने अपनी नई पार्टी बना ली है, इसके बावजूद आपने उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?
सुभाष बराला: बीजेपी का कार्रवाई करने का अपना तरीका है. पार्टी का एक संविधान है, उसी के अनुसार ही किसी के खिलाफ कार्रवाई करनी होती है. मैंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के नाते जो भी बात कहनी थी वो राष्ट्रीय अध्यक्ष से कह दी है. सैनी के खिलाफ उचित समय पर उचित कार्रवाई होगी. जो भी बीजेपी की रीति-नीति के साथ नहीं चलता है वो पार्टी में लंबा नहीं चल सकता. जो भी सैनी जैसा व्यवहार करता है निश्चित रूप से उसके खिलाफ कार्रवाई होती है.
गैर जाट राजनीति का चेहरा माने जाते हैं मनोहर लाल!
गैर जाट पॉलिटिक्स और संतुलन साथ-साथ!
विधानसभा चुनाव-2014 के दौरान भाजपा हरियाणा में ये संदेश पहुंचाने में काफी हद तक सफल रही थी कि वो गैर जाट व्यक्ति को सीएम बनाएगी. इसलिए उसे ऐतिहासिक जीत मिली. मनोहर लाल खट्टर के रूप में करीब दो दशक बाद गैर जाट मुख्यमंत्री बना. हालांकि, बीजेपी ने जाट नेताओं को भी कम तवज्जो नहीं दी.बीरेंद्र सिंह को केंद्रीय मंत्री और कैप्टन अभिमन्यु, ओम प्रकाश धनकड़ को राज्य कैबिनेट में जगह देकर संतुलन साधने की कोशिश की. यही नहीं जाट लीडर सुभाष बराला को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. अब देखना ये है कि आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ये जाट नेता बीजेपी को जाटों का कितना वोट दिला पाते हैं.
यशपाल मलिक इन दिनों हरियाणा में भाईचारा सम्मेलन कर रहे हैं. 12 अगस्त को जसिया (रोहतक) में मलिक का कार्यक्रम है. हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से करीब 40 पर जाट प्रभावी भूमिका में हैं, ऐसे में कोई भी पार्टी उन्हें नकार नहीं सकती. मलिक की गतिविधियों और जाट सियासत को लेकर हमने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और जाट लीडर सुभाष बराला से बातचीत की.
पेश है उनसे हुई लंबी बातचीत के खास अंश:

सुभाष बराला: ये तो हरियाणा की जनता जान चुकी है कि दंगा कौन करवाना चाहता है. चाहे यशपाल मलिक हों या फिर पर्दे के पीछे किन्हीं राजनीतिक दलों के नेता हों, इस प्रकार का कोई भी प्रयास करेगा तो उसे हम कामयाब नहीं होने देंगे. कोई दुस्साहस करेगा हरियाणा को अस्थिर करने का तो इस बार न तो सरकार और न ही हरियाणा की जनता उसे कामयाब होने देगी. प्रदेश की जनता ऐसे असामाजिक तत्वों की असलियत जान, पहचान चुकी है. उन्हें पता है कि हरियाणा के हित किसके हाथ में सुरक्षित हैं. इसके पीछे पहले भी बहुत सारी चीजें आईं हैं. कुछ लोगों के राजनैतिक स्वार्थ हैं. इसलिए वे लोग इस प्रकार की भाषा बोल रहे हैं.
सवाल: हरियाणा में बीजेपी की इमेज एंटी जाट और गैर जाट पॉलिटिक्स करने वाली पार्टी की है, फिर आप जाटों का वोट कैसे लेंगे?
सुभाष बराला: भाजपा किसी भी प्रकार की जात-बिरादरी की राजनीति नहीं करती है. केवल वही लोग इस प्रकार का माहौल खड़ा करना चाहते हैं जिन्होंने पहले भी जातिगत राजनीति की है और जिनको अब भी ऐसी सियासत अनुकूल लगती है. वे ही इस बात को फिर हवा दे रहे हैं. जहां तक बीजेपी की बात है तो हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद दर्शन को मानने वाले लोग हैं, इसलिए हम लोग जातिगत राजनीति कर ही नहीं सकते.

सवाल: लेकिन जब मनोहरलाल खट्टर को सीएम बनाया गया तब तो यही माना गया कि यहां गैर जाट की सियासत का उदय हुआ है?
सुभाष बराला: भारतीय जनता पार्टी के किसी नेता ने इस प्रकार का माहौल नहीं बनाया. सबको साथ लेकर कैसे चला जाए हम इसकी राजनीति करते हैं. हमारा नारा भी था सबका साथ, सबका विकास. जनकल्याण की नीतियां हमने सबके लिए बनाई हैं. जातिगत राजनीति विपक्ष के अनुकूल है इसलिए वो लोग इस प्रकार की बातों को हवा देते हैं.
सवाल: हरियाणा में जाटों का सबसे बड़ा नेता कौन है?
सुभाष बराला: कौन जाटों का नेता और कौन गैर जाटों का नेता, बीजेपी इस प्रकार की राजनीति नहीं करती है. इसलिए इस प्रकार के सवालों का मेरे लिए कोई अर्थ नहीं है.
सवाल: आपकी पार्टी के सांसद राजकुमार सैनी ने अपनी नई पार्टी बना ली है, इसके बावजूद आपने उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?
सुभाष बराला: बीजेपी का कार्रवाई करने का अपना तरीका है. पार्टी का एक संविधान है, उसी के अनुसार ही किसी के खिलाफ कार्रवाई करनी होती है. मैंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के नाते जो भी बात कहनी थी वो राष्ट्रीय अध्यक्ष से कह दी है. सैनी के खिलाफ उचित समय पर उचित कार्रवाई होगी. जो भी बीजेपी की रीति-नीति के साथ नहीं चलता है वो पार्टी में लंबा नहीं चल सकता. जो भी सैनी जैसा व्यवहार करता है निश्चित रूप से उसके खिलाफ कार्रवाई होती है.

गैर जाट पॉलिटिक्स और संतुलन साथ-साथ!
विधानसभा चुनाव-2014 के दौरान भाजपा हरियाणा में ये संदेश पहुंचाने में काफी हद तक सफल रही थी कि वो गैर जाट व्यक्ति को सीएम बनाएगी. इसलिए उसे ऐतिहासिक जीत मिली. मनोहर लाल खट्टर के रूप में करीब दो दशक बाद गैर जाट मुख्यमंत्री बना. हालांकि, बीजेपी ने जाट नेताओं को भी कम तवज्जो नहीं दी.बीरेंद्र सिंह को केंद्रीय मंत्री और कैप्टन अभिमन्यु, ओम प्रकाश धनकड़ को राज्य कैबिनेट में जगह देकर संतुलन साधने की कोशिश की. यही नहीं जाट लीडर सुभाष बराला को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. अब देखना ये है कि आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ये जाट नेता बीजेपी को जाटों का कितना वोट दिला पाते हैं.