हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में रमज़ान के मुबारक माह के आखिरी रोज़े की इफ्तार के बाद जामा मस्जिद डलहौज़ी में
‘ईद का शाब्दिक अर्थ है खुशी‘. दिल को दिलों से जोड़ने वाली खुशी और रूठे व गमजदा लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने का नाम ही ईद है. पूरे एक महीने के रोजे की भूख और प्यास के अद्भुत एहसास के बाद यह खाने और खिलाने का दिन होता है.
जामा मस्जिद डलहौज़ी के मौलवी शबीर मोहम्मद ने कहा कि रमज़ान का मुबारक महीनेमें हम पूरे एक महीने तक रोज़े रख कर अल्लाह को याद करते हैं. यह रमजान का महीना बहुत ही खुशियों, नियामतों और बरकत वाला महीना होता है. हमे ख़ुशी से इसका एतराम करना चाहिए और समाज में सभी भाइयों को मिल जुल कर रहना चाहिए.
पूरे समाज में खुशी लाता है ईद पर बच्चे, बूढ़े और जवान सभी नए-नए कपड़ों में सजे एक दूसरे के गले मिलते हैं और ईद की मुबारकबाद देते दिखाई पड़ते हैं.
नमाजी इस दिन ईदगाहों और शहर की मस्जिदों में नमाज पढ़ने जाते हैं लोग एक दूसरे से अधिक से अधिक मिल-जुल कर ईद की मुबारिकबाद देते है और आपस में प्यार और भाईचारा बांटते हैं. साथ ही कोई दुखी या जरूरतमंद हो तो उसकी मदद कर ईद की खुशियों में उसे भी शामिल करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 26, 2017, 16:33 IST