हमीरपुर. हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर शहर के साथ लगते डुग्घा में निजी अस्पताल की कथित लापरवाही के कारण रेखा कुमारी की मौत हो गई. अब परिवार प्रशासन से न्याय की मांग कर रहा है. मामले में डीसी से मुलाकात की गई है.
जानकारी के अनुसार, गांव बारीं मंदिर की महिला सात महीने की गर्भवती थी. निजी अस्पताल में इलाज के बाद उसे रेफर किया गया था. मंगलवार को परिजनों ने डीसी हमीरपुर से गुहार लगाई है. प्रतिनिधिमंडल ने निजी अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ लापरवाही बरतने का आरोप लगाया हैं. ग्रामीणों तथा परिजनों ने हमीरपुर मुख्यालय पहुंच उपायुक्त हमीरपुर देवश्वेता बनिक को सारे मामले से अवगत करवा निजी अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ निष्पक्ष जांच की मांग की है. इस पर सीएमओ हमीरपुर केा जांच के लिए निर्देश दिए हैं.
क्या कहती है रेखा की बहन
रेखा की बहन नीलम चौहान ने बताया कि रेखा कुमारी 7 माह से गर्भवती थी. स्वास्थ्य परीक्षण के लिए नियमित रूप से साईं अस्पताल डुग्घा जाती थी. सात माह की रिपोर्ट में साईं अस्पताल ने रेखा तथा बच्चे का स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक बताया. अस्पताल प्रबंधन नियमित चेकअप फीस भी वसूलता रहा. 15 जनवरी शाम को रेखा की तबीयत तेजी से बिगड़ी तो उसे फिर निजी अस्पताल डुग्घा लाए. यहां इमरजेंसी में न तो स्ट्रैचर मिला और ना ही डॉक्टर मिला. रेखा को गोद में उठाकर अस्पताल की दूसरी मंजिल तक पहुंचाया गया. उस वक्त रेखा को कोई ब्लीडिंग नहीं थी. नीलम ने बताया कि 15 जनवरी को रात 9 बजे निजीं अस्पताल प्रबंधन ने एक इंजेक्शन लगाकर मेडिकल कालेज अस्पताल टांडा ले जाने को कहा. करीब रात पौने बारह बजे मेडिकल कालेज अस्पताल टांडा पहुंचे तथा करीब एक घंटे के टेस्ट के बाद बताया गया कि करीब 8 माह का भ्रूण पेट में ही मर चुका है और अब रेखा की जान को भी खतरा है. बाद में रात को ढाई बजे टांडा मेडिकल अस्पताल में रेखा ने दम तोड़ दिया.
निजी अस्पताल पर कार्रवाई की मांग
मृतक रेखा के भाई अजय कुमार ने सारे प्रकरण की जिला स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में निष्पक्ष जांच करने की मांग की हैं तथा निजी अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर दोषियों को दंडित करने की गुहार लगाई है.
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