शिमला. हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में तिब्बत बॉर्डर (Tibet) पर समदो में अब भारतीय सेना (Indian Army) को पेयजल की दिक्कत नहीं होगी. इंडो तिब्बत बॉर्डर (Border) के समीप ऊंचाई पर सेना की मदद से जलशक्ति विभाग ने पेयजल पाइपलाइन बिछाई है. विभाग ने समुद्रतल से लगभग 14000 फीट की ऊंचाई पर सात किमी लंबी पाइपलाइन बिछा कर सेना के लिए पेयजल आपूर्ति शुरू कर दी है.
जानकारी के अनुसार, पारछू नाले के ऊपर तार स्पैन की मदद से 12000 फीट की ऊंचाई पर 700 मीटर लंबी पाइपलाइन लॉन्च कर इस परियोजना को अंजाम दिया है. इससे पहले सर्दियों में बार-बार पाइपलाइन क्षतिग्रस्त होने से जवानों को पेयजल की समस्या रहती थी.
सेना के हवाले पेयजल परियोजना
अमर उजाला की खबर के अनुसार, पारछू नदी के ग्लेशियर के समीप पानी का स्रोत बनाया गया है, जो करीब 14000 फीट की ऊंचाई पर है. विभाग के सहायक अभियंता उत्तम ने बताया कि इस पेयजल परियोजना के निर्माण में करीब तीन करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. यह परियोजना करीब सात किमी लंबी है. विभाग के स्थानीय कामगारों ने जान जोखिम में डालकर पाइपलाइन को स्पैन तार पर लटक कर लॉन्च किया है. इस दौरान जरा सी चूक कामगारों की जिंदगी पर भारी पड़ सकती थी. बहरहाल, विभाग ने गुरुवार को यह पेयजल परियोजना सेना के हवाले कर दी है.
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242 किमी का बॉर्डर
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में किन्नौर और लाहौल स्पीति में तिब्बत की सीमा के साथ 242 किमी का एरिया लगता है. यहां पर समदो और किन्नौर में सीमावर्ती गांवों से कई बार चीनी गतिविधियां देखी गई हैं. यही नहीं, कि बॉर्डर के साथ तिब्बत के इलाके में चीन ने सड़क निर्माण भी किया है.
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