दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश: देश के IIT कैंपस में चल रहे प्राइवेट स्कूल बंद करें

एमएचआरडी के आदेशानुसार आईआईटी में होना चाहिए सिर्फ केंद्रीय विद्यालय
देश के 9 आईआईटी संस्थानों में चल रहे प्राइवेट स्कूलों को लेकर 30 अक्टूबर 2019 को दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है.
- News18 Himachal Pradesh
- Last Updated: November 16, 2019, 5:46 PM IST
मंडी. आईआईटी (IIT) के कैंपस में चल रहे प्राइवेट स्कूलों (Private Schools) को अब बंद करने का आदेश जारी हो गया है. आईआईटी मंडी (Mandi) के पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी और आईआईटी गुवाहटी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. बृजेश रॉय की जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने यह फैसला दिया है.
बता दें कि इन दोनों ने देश के 9 आईआईटी संस्थानों में चल रहे प्राइवेट स्कूलों को लेकर 30 अक्टूबर 2019 को दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. इसमें आईआईटी मंडी और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Union Ministry of Human Resource Development) को भी पार्टी बनाया गया था, क्योंकि आईआईटी मंडी के कैंपस में भी 'माइंड ट्री' (Mind Tree) के नाम से एक प्राइवेट स्कूल का संचालन हो रहा है.
आईआईटी संस्थानों के लिए सबक
इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सी. हरिशंकर ने 13 नवंबर को यह फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने 28 जुलाई 2016 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी किए गए उस सर्कुलर को आधार मानते हुए यह फैसला सुनाया, जिसके तहत आईआईटी संस्थानों में सिर्फ केंद्रीय विद्यालयों का ही संचालन हो सकता है.
पहली ही सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने मंत्रालय को अपने इस सर्कुलर का सही ढंग से पालन करवाने को कहा है. जनहित याचिका दायर करने वाले सुजीत स्वामी ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस फैसले से देश के उन आईआईटी संस्थानों को सबक मिलेगा, जो सरकार के आदेशों की अवमानना करते हुए अपने स्तर पर नए-नए निर्णय ले रहे हैं.
हिमाचल हाईकोर्ट भी सुनाएगा फैसलासुजीत स्वामी ने बताया कि आईआईटी मंडी की मनमानियों से संबंधित एक जनहित याचिका हिमाचल हाईकोर्ट में भी दायर की गई है और उसमें भी स्कूल के संचालन का जिक्र किया गया है. हिमाचल हाईकोर्ट ने आईआईटी मंडी से इस संदर्भ में जवाब मांगा था और यह जवाब आईआईटी की तरफ से दे दिया गया है. अब जल्द ही इस पूरे मामले पर हिमाचल हाईकोर्ट भी अपना फैसला सुनाने जा रहा है. सुजीत स्वामी ने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट में जो जनहित याचिका दायर की गई थी, उसे अधिवक्ता डॉ. दिनेश रत्न भारद्वाज ने नि:शुल्क दायर किया और कोर्ट में इनका पक्ष रखा.
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बता दें कि इन दोनों ने देश के 9 आईआईटी संस्थानों में चल रहे प्राइवेट स्कूलों को लेकर 30 अक्टूबर 2019 को दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. इसमें आईआईटी मंडी और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Union Ministry of Human Resource Development) को भी पार्टी बनाया गया था, क्योंकि आईआईटी मंडी के कैंपस में भी 'माइंड ट्री' (Mind Tree) के नाम से एक प्राइवेट स्कूल का संचालन हो रहा है.
आईआईटी संस्थानों के लिए सबक
इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सी. हरिशंकर ने 13 नवंबर को यह फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने 28 जुलाई 2016 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी किए गए उस सर्कुलर को आधार मानते हुए यह फैसला सुनाया, जिसके तहत आईआईटी संस्थानों में सिर्फ केंद्रीय विद्यालयों का ही संचालन हो सकता है.
पहली ही सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने मंत्रालय को अपने इस सर्कुलर का सही ढंग से पालन करवाने को कहा है. जनहित याचिका दायर करने वाले सुजीत स्वामी ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस फैसले से देश के उन आईआईटी संस्थानों को सबक मिलेगा, जो सरकार के आदेशों की अवमानना करते हुए अपने स्तर पर नए-नए निर्णय ले रहे हैं.
हिमाचल हाईकोर्ट भी सुनाएगा फैसलासुजीत स्वामी ने बताया कि आईआईटी मंडी की मनमानियों से संबंधित एक जनहित याचिका हिमाचल हाईकोर्ट में भी दायर की गई है और उसमें भी स्कूल के संचालन का जिक्र किया गया है. हिमाचल हाईकोर्ट ने आईआईटी मंडी से इस संदर्भ में जवाब मांगा था और यह जवाब आईआईटी की तरफ से दे दिया गया है. अब जल्द ही इस पूरे मामले पर हिमाचल हाईकोर्ट भी अपना फैसला सुनाने जा रहा है. सुजीत स्वामी ने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट में जो जनहित याचिका दायर की गई थी, उसे अधिवक्ता डॉ. दिनेश रत्न भारद्वाज ने नि:शुल्क दायर किया और कोर्ट में इनका पक्ष रखा.
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First published: November 16, 2019, 5:03 PM IST