bjpमंडी. हिमाचल प्रदेश में मंडी लोकसभा सीट (Mandi Loksabha Seat) के लिए उपचुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है. ऐसे में अब टिकट की दौड़ में शामिल नेताओं ने इसके लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना भी शुरू कर दिया है. मंडी में भाजपा (BJP) के टिकट के चाहवान अधिक तो कांग्रेस (Congress) के कम नजर आ रहे हैं.
साल 2019 में हुए आमचुनावों की बात की जाए तो उस वक्त दो ब्राह्मणों के बीच चुनावी जंग देखने को मिली थी और राम स्वरूप शर्मा इसमें ऐतिहासिक जीत दर्ज करके संसद पहुंचे थे. जबकि आश्रय शर्मा को करारी हार झेलनी पड़ी थी. इस बार भी आश्रय शर्मा फिर से टिकट की दौड़ में शामिल हैं. वहीं, अब तलबगारों की धुकधुकी भी बढ़ने लगी है.
कौन हैं भाजपा के संभावित चेहरे
सत्ताधारी भाजपा की बात करें तो यहां से भाजपा के एक नहीं, अनेक चेहरे टिकट की दौड़ में शामिल हैं. भाजपा के दिग्गज मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर का नाम भी सुर्खियों में है. वहीं पूर्व सांसद महेश्वर सिंह, नगर परिषद मनाली के अध्यक्ष चमन कपूर, भाजपा नेता प्रवीण शर्मा, अजय राणा, ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर, मिल्क फेडरेशन के चेयरमैन निहाल चंद शर्मा और युवा नेता भंवर भारद्वाज भी टिकट के लिए जोर लगा रहे हैं. ऐसे कयास भी लगाए जा रहे हैं कि मौजूदा मंत्री गोबिंद सिंह ठाकुर या फिर सुंदरनगर के विधायक राकेश जम्वाल पर भी पार्टी दांव खेल सकती है.
कांग्रेस में सिर्फ दो ही दावेदार
कांग्रेस की अगर बात करें तो यहां पर सिर्फ दो ही दावेदार नजर आ रहे हैं. इनमें पूर्व में प्रत्याशी रहे आश्रय शर्मा और पूर्व में दो बार सांसद रही प्रतिभा सिंह का नाम प्रमुख रूप से चर्चा में है. वहीं पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर का नाम भी चर्चा में हैं, लेकिन वो टिकट की दौड़ में शामिल नहीं हैं. उन्होंने स्पष्ट कहा है कि उनका चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन पार्टी अगर आदेश करेगी तो वे इससे पीछे भी नहीं हटेंगे.
जातीय समीकरण इनकी बना सकते हैं गेम
कांग्रेस और भाजपा जातीय समीकरणों के आधार पर अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारती है. पिछली बार दो ब्राह्मणों में मुकाबला हुआ था. इस बार भी ऐसी संभावना नजर आ रही है. अनुमान के अनुसार मंडी संसदीय क्षेत्र में ढाई लाख से अधिक ब्राह्मण वोट है. यदि ब्राह्मण वोट को ध्यान में रखकर टिकट बांटे गए तो कांग्रेस से आश्रय शर्मा और भाजपा से प्रवीण शर्मा के नाम पर सहमति बन सकती है. प्रवीण शर्मा को मौजूदा समय में सरकार और संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है, इसलिए पार्टी उनपर दांव खेल सकती है. ऐसा करने से भविष्य में सदर से उनकी दावेदारी भी नहीं रहेगी. वहीं धूमल गुट भी इनके साथ खुलकर चलेगा. यदि राजपूत वोट को ध्यान में रखा गया तो फिर कांग्रेस की तरफ से प्रतिभा सिंह या कौल सिंह ठाकुर और भाजपा की तरफ से किसी राजपूत को उम्मीदवार बनाया जा सकता है. क्योंकि, भाजपा में टिकट के अधिकतर चाहवान राजपूत ही हैं, वहीं भाजपा में इस वक्त एक चेहरा ऐसा भी है जिसकी खत्री और राजपूत सहित कुल्लू और मंडी जिलों में पैंठ हैं. ये हैं नगर परिषद मनाली के अध्यक्ष चमन कपूर. चमन कपूर खुद खत्री हैं, लेकिन इन्होंने राजपूत के साथ शादी की है और रहने वाले मंडी जिला के हैं, लेकिन कर्मभूमि कुल्लू जिला को बनाया है.
दिल्ली दरबार पहुंचे टिकट के चाहवान
चुनावों की घोषणा होते ही भाजपा और कांग्रेस के टिकट के दावेदारों ने दिल्ली दरबार में हजिरी भर दी है. बताया जा रहा है कि भाजपा 3 अक्तूबर को दिल्ली में इन संभावित चेहरों पर मंथन करेगी और उसके बाद टिकट का ऐलान होगा. वहीं, कांग्रेस भी इसी दौरान टिकट आंवटन पर चर्चा करके चेहरों की घोषणा कर सकती है.
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