मंडी. हिमाचल के जंगलों में अनेक प्राकृतिक फल पाए जाते हैं, जो हमें स्वाद के साथ-साथ औषधीय गुणों का भी लाभ लेते हैं. इन फलों के पकने का समय भी अलग अलग होता है. हालांकि, मंडी जिला में मई के महीने में जंगलों में ऐसा फल पककर तैयार होता है, जिसका नाम है काफल. यह फल मधुमेह, हृदय चाप व पेट की कई बीमारियों को दूर करने में लाभकारी भी है. जंगली फल काफल अब मंडी शहर में पहुंचना शुरू हो गया है. काफल के औषधीय गुणों के बारे में आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ ओम राज ने बताया कि काफल में कैल्शियम, जिंक, फास्फोरस पाया जाता है, जो शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी है. उन्होंने बताया कि काफल पेट की जलन, गर्मी व डायरिया के लिए बहुत लाभकारी है. काफल गर्मी के दिनों में शरीर के इलेक्ट्रोलाइट को बनाए रखता है.
मंडी के सेरी बाजार में काफल 200 से 300 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. काफल विक्रेताओं का कहना है कि वे हर वर्ष काफल लेकर शहरों में पहुंचते हैं. 1 महीने तक काफल का सीजन चलता है और कई परिवारों की रोजी-रोटी भी इससे जुड़ी होती है. चंडीगढ़ से मंडी घूमने आए पर्यटक भूपेंद्र नागपाल ने मंडी शहर में काफल का स्वाद चखकर कहा कि उन्होंने पहली बार यह फल खाया है और यह बहुत ही स्वादिष्ट है.
बता दें कि मंडी जिला के कटौला, गोहर, मोवीसेरी, तुंगलघाटी, चौहारघाटी और जनीतरी, कफलवानी धार और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों के जंगलों में काफल की पैदावार होती है. मंडी जिला से हर वर्ष भारी मात्रा में प्रदेश के अन्य जिलों में काफल फल की खेप पहुंचती है. इसके अलावा, यह जंगली फल उत्तराखंड के कई इलाकों में भी मिलता है. खास बात है कि हिमाचल में यह केवल मंडी जिले में ही पाया जाता है.
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