हिमाचल में अगली सरकार बनाने में मंडी के 10 विधानसभा सीटों की रहेगी बड़ी भूमिका

FILE: हिमाचल प्रदेश विधानसभा
हिमाचल प्रदेश के केंद्र में बसा मंडी जिला सरकार बनाने में हमेशा अपना अहम रोल अदा करता रहा है. इस बार भी मंडी जिला की भूमिका चुनाव में काफी अहम मानी जा रही है.
- ETV Haryana/HP
- Last Updated: October 29, 2017, 5:27 PM IST
हिमाचल प्रदेश के केंद्र में बसा मंडी जिला सरकार बनाने में हमेशा अपना अहम रोल अदा करता रहा है. इस बार भी मंडी जिला की भूमिका चुनाव में काफी अहम मानी जा रही है. मंडी जिला में 10 विधानसभा क्षेत्रों में अभी पांच सीटों पर कांग्रेस तो पांच पर भाजपा का कब्जा है.
वर्ष 2007 में जब भाजपा की सरकार बनी थी तब उस समय भाजपा को 6 और कांग्रेस को एक सीट मिली थी जबकि एक पर निर्दलीय ने बाजी मारी थी. हालांकि उस समय निर्दलीय प्रत्याशी के
बतौर जीत दर्ज करने वाले भाजपा के साथ हो लिए थे.
मंडी जिला को बीजेपी की तब की सरकार में तीन कैबिनेट मंत्री मिले थे और मौजूदा कांग्रेस सरकार में भी तीन ही कैबिनेट मंत्री हैं. कौल सिंह ठाकुर, अनिल शर्मा और प्रकाश चौधरी को कैबिनेट मंत्री जबकि सोहन लाल ठाकुर और मनसा राम को सीपीएस का दायित्व सौंप रखा है.हालांकि, मौजूदा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अनिल शर्मा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं. इनके भाजपा में शामिल होने से जिले की राजनीति के सारे समीकरण ही बदल गए हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम और सीएम वीरभद्र सिंह के बीच 36 का आंकड़ा है. एक तरफ जहां वीरभद्र सिंह अधिक सीटों पर जीत हासिल करने की कोशिश में हैं, वहीं पंडित सुखराम भाजपा को अधिक से अधिक सीटें दिलाने की.
पंडित सुखराम ने वर्ष 1998 में जब हिमाचल विकास कांग्रेस के नाम से अपनी पार्टी बनाई थी तो जिले की चार सीटों पर जीत हासिल करके प्रदेश में भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी इसलिए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मंडी जिला में उनका अपना एक वोट बैंक है.
वर्ष 2007 में जब भाजपा की सरकार बनी थी तब उस समय भाजपा को 6 और कांग्रेस को एक सीट मिली थी जबकि एक पर निर्दलीय ने बाजी मारी थी. हालांकि उस समय निर्दलीय प्रत्याशी के
बतौर जीत दर्ज करने वाले भाजपा के साथ हो लिए थे.
मंडी जिला को बीजेपी की तब की सरकार में तीन कैबिनेट मंत्री मिले थे और मौजूदा कांग्रेस सरकार में भी तीन ही कैबिनेट मंत्री हैं. कौल सिंह ठाकुर, अनिल शर्मा और प्रकाश चौधरी को कैबिनेट मंत्री जबकि सोहन लाल ठाकुर और मनसा राम को सीपीएस का दायित्व सौंप रखा है.हालांकि, मौजूदा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अनिल शर्मा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं. इनके भाजपा में शामिल होने से जिले की राजनीति के सारे समीकरण ही बदल गए हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम और सीएम वीरभद्र सिंह के बीच 36 का आंकड़ा है. एक तरफ जहां वीरभद्र सिंह अधिक सीटों पर जीत हासिल करने की कोशिश में हैं, वहीं पंडित सुखराम भाजपा को अधिक से अधिक सीटें दिलाने की.
पंडित सुखराम ने वर्ष 1998 में जब हिमाचल विकास कांग्रेस के नाम से अपनी पार्टी बनाई थी तो जिले की चार सीटों पर जीत हासिल करके प्रदेश में भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी इसलिए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मंडी जिला में उनका अपना एक वोट बैंक है.