Exclusive: हिमाचल में विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद अब पंचायत चुनाव में उतरे ये 5 चेहरे

मंडी के ये पांच चेहरे विधानसभा चुनाव में भी किस्मत आजमा चुका हैं.
Panchayat Election in Himachal Pradesh: हिमाचल में पंचायत चुनाव के लिए 17, 19 और 21 जनवरी को वोटिंग होगी. जिला परिषद और बीडीसी चुनाव का परिणाम 22 जनवरी को घोषित होगा.
- News18Hindi
- Last Updated: January 16, 2021, 12:13 PM IST
मंडी. हिमाचल में प्रदेश में पंचायत चुनाव (Himachal Panchyat Elections) में महज एक दिन का समय बचा है. 17 जनवरी को वोटिंग होगी. इस बार पंचायत चुनाव में कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. मंडी (Mandi) जिले से पांच चेहरे ऐसे भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जो पहले विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में सफलता न मिलने के बाद ये लोग फिर से पंचायत चुनावों में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. इसमें चार चेहरे जिला परिषद का चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि एक चेहरा उपप्रधान के चुनाव में खुद को आजमा रहा है.
सबसे चर्चित चेहरा चंपा
इनमें सबसे चर्चित चेहरा है पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर. चंपा ठाकुर 2017 का विधानसभा चुनाव मंडी सदर से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लड़ चुकी हैं. कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए अनिल शर्मा को उन्होंने विधानसभा चुनावों में कड़ी टक्कर दी थी. चंपा ठाकुर इससे पहले तीन बार जिला परिषद का चुनाव लड़ और जीत चुकी हैं. यह सभी चुनाव इन्होंने सदर हल्के के तहत आने वाली सीटों से ही लड़े और जीते हैं. मौजूदा समय में यह स्योग वार्ड से बतौर प्रत्याशी मैदान में हैं. इस सीट से इनका यह पहला चुनाव है. खास बात यह है कि चंपा ने तीनों चुनाव अलग-अलग सीटों से लड़े और जीते हैं.
भूपेंद्र की टक्कर मंत्री की बेटी से दूसरा चर्चित चेहरा है धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले ग्रयोह वार्ड से. यहां से माकपा नेता भूपेंद्र सिंह चुनावी मैदान में हैं. भूपेंद्र सिंह वर्तमान में भी इसी वार्ड से जिला परिषद के सदस्य हैं. इन्होंने भी 2017 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाए थे. अब फिर से पंचायत चुनावों में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. 2017 में ही जोगिंद्रनगर से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके कामरेड कुशाल भारद्वाज भी इस बार भराड़ू वार्ड से जिला परिषद का चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं एक बार निर्दलीय और दूसरी बार लोकहित पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके मंडी सदर के रंधाड़ा गांव निवासी ई. हरीश शर्मा भी इस बार जनेड़ वार्ड से जिला परिषद का चुनाव लड़ रहे हैं. आरक्षित सीट बल्ह से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके संजय सुरहेली भी इस बार पंचायत चुनावों में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. संजय सुरहेली ग्राम पंचायत बाल्ट से उपप्रधान के पद पर चुनाव लड़ रहे हैं.
चंपा ठाकुर: जनता की सेवा के लिए चुनाव लड़ रही हूं. मैं खुद को गरीबों की आवाज समझती हूं और उनके हक की लड़ाई हर जगह लड़ती हूं. पहले तीन अलग-अलग वार्डों से चुनाव लड़कर जीत चुकी हूं. यह सदर क्षेत्र का चौथा वार्ड से जहां से चुनाव लड़ने का मौका मिला है. आप इस चुनाव को 2022 की तैयारी भी समझ सकते हैं. 2017 में काफी कम मार्जिन से पीछे रह गई थी और उसी कमी को पूरा करने की अब तैयारी चल रही है. 2022 में विधानसभा चुनावों में अवश्य जीत हासिल करूंगी.
भूपेंद्र सिंह: 2017 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था जिसका परिणाम ठीक नहीं रहा था, लेकिन मैं मौजूदा समय में भी जिला परिषद का सदस्य हूं, इसलिए जो भूमिका निभा रहा हूं उसे निभाता रहूंगा. विधानसभा का चुनाव बड़ा चुनाव होता है. वहां जब जीत मिलेगी तब उस भूमिका को भी सही ढंग से निभाउंगा.
कुशाल भारद्वाज: लोगों के कहने पर चुनाव लड़ रहा हूं. हम वैसे भी वर्ष भर लोगों की सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते. अब भी लोगों की आवाज बनकर चुनाव लड़ रहा हूं. मेरी नजर में कोई भी चुनाव छोटा या बड़ा नहीं होता है.
ई. हरीश शर्मा: यह कोई छोटा चुनाव नहीं है. जनेड़ वार्ड में 22 हजार मतदाता हैं और जो माहौल इन चुनावों में देखने को मिल रहा है, वैसा विधानसभा चुनावों में भी नहीं होता है. ग्रास रूट से जुड़े लोगों के लिए पंचायत चुनाव अपना पॉलिटिकल बेस बनाने का सबसे बेहतरीन मौका है.
संजय सुरहेली: हमने अपनी पंचायत को निर्विरोध चुनने का प्रयास किया था जिसमें हम सफल भी हुए और एक वार्ड को निर्विरोध चुना गया, लेकिन जब बात नहीं बनी तो जनता के भारी दबाव के चलते मुझे बतौर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरना पड़ा. चुनाव कोई छोटा या बड़ा नहीं होता, बल्कि चुनाव के बाद आपको अपने क्षेत्र के विकास करवाने का मौका मिलता है.
प्रतिष्ठा लगी है दांव पर
कहा जा सकता है कि उक्त चेहरों की प्रतिष्ठा इन पंचायत चुनावों में दांव पर लगी है. अगर जीते तो भविष्य के लिए और सशक्त हो जाएंगे, लेकिन हारने पर भविष्य की राह काफी कठिन होने वाली है. हिमाचल में पंचायत चुनाव के लिए 17, 19 और 21 जनवरी को वोटिंग होगी. जिला परिषद और बीडीसी चुनाव का परिणाम 22 जनवरी को घोषित होगा.
सबसे चर्चित चेहरा चंपा
इनमें सबसे चर्चित चेहरा है पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर. चंपा ठाकुर 2017 का विधानसभा चुनाव मंडी सदर से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लड़ चुकी हैं. कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए अनिल शर्मा को उन्होंने विधानसभा चुनावों में कड़ी टक्कर दी थी. चंपा ठाकुर इससे पहले तीन बार जिला परिषद का चुनाव लड़ और जीत चुकी हैं. यह सभी चुनाव इन्होंने सदर हल्के के तहत आने वाली सीटों से ही लड़े और जीते हैं. मौजूदा समय में यह स्योग वार्ड से बतौर प्रत्याशी मैदान में हैं. इस सीट से इनका यह पहला चुनाव है. खास बात यह है कि चंपा ने तीनों चुनाव अलग-अलग सीटों से लड़े और जीते हैं.
भूपेंद्र की टक्कर मंत्री की बेटी से दूसरा चर्चित चेहरा है धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले ग्रयोह वार्ड से. यहां से माकपा नेता भूपेंद्र सिंह चुनावी मैदान में हैं. भूपेंद्र सिंह वर्तमान में भी इसी वार्ड से जिला परिषद के सदस्य हैं. इन्होंने भी 2017 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाए थे. अब फिर से पंचायत चुनावों में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. 2017 में ही जोगिंद्रनगर से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके कामरेड कुशाल भारद्वाज भी इस बार भराड़ू वार्ड से जिला परिषद का चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं एक बार निर्दलीय और दूसरी बार लोकहित पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके मंडी सदर के रंधाड़ा गांव निवासी ई. हरीश शर्मा भी इस बार जनेड़ वार्ड से जिला परिषद का चुनाव लड़ रहे हैं. आरक्षित सीट बल्ह से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके संजय सुरहेली भी इस बार पंचायत चुनावों में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. संजय सुरहेली ग्राम पंचायत बाल्ट से उपप्रधान के पद पर चुनाव लड़ रहे हैं.
चंपा ठाकुर: जनता की सेवा के लिए चुनाव लड़ रही हूं. मैं खुद को गरीबों की आवाज समझती हूं और उनके हक की लड़ाई हर जगह लड़ती हूं. पहले तीन अलग-अलग वार्डों से चुनाव लड़कर जीत चुकी हूं. यह सदर क्षेत्र का चौथा वार्ड से जहां से चुनाव लड़ने का मौका मिला है. आप इस चुनाव को 2022 की तैयारी भी समझ सकते हैं. 2017 में काफी कम मार्जिन से पीछे रह गई थी और उसी कमी को पूरा करने की अब तैयारी चल रही है. 2022 में विधानसभा चुनावों में अवश्य जीत हासिल करूंगी.
भूपेंद्र सिंह: 2017 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था जिसका परिणाम ठीक नहीं रहा था, लेकिन मैं मौजूदा समय में भी जिला परिषद का सदस्य हूं, इसलिए जो भूमिका निभा रहा हूं उसे निभाता रहूंगा. विधानसभा का चुनाव बड़ा चुनाव होता है. वहां जब जीत मिलेगी तब उस भूमिका को भी सही ढंग से निभाउंगा.
कुशाल भारद्वाज: लोगों के कहने पर चुनाव लड़ रहा हूं. हम वैसे भी वर्ष भर लोगों की सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते. अब भी लोगों की आवाज बनकर चुनाव लड़ रहा हूं. मेरी नजर में कोई भी चुनाव छोटा या बड़ा नहीं होता है.
ई. हरीश शर्मा: यह कोई छोटा चुनाव नहीं है. जनेड़ वार्ड में 22 हजार मतदाता हैं और जो माहौल इन चुनावों में देखने को मिल रहा है, वैसा विधानसभा चुनावों में भी नहीं होता है. ग्रास रूट से जुड़े लोगों के लिए पंचायत चुनाव अपना पॉलिटिकल बेस बनाने का सबसे बेहतरीन मौका है.
संजय सुरहेली: हमने अपनी पंचायत को निर्विरोध चुनने का प्रयास किया था जिसमें हम सफल भी हुए और एक वार्ड को निर्विरोध चुना गया, लेकिन जब बात नहीं बनी तो जनता के भारी दबाव के चलते मुझे बतौर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरना पड़ा. चुनाव कोई छोटा या बड़ा नहीं होता, बल्कि चुनाव के बाद आपको अपने क्षेत्र के विकास करवाने का मौका मिलता है.
प्रतिष्ठा लगी है दांव पर
कहा जा सकता है कि उक्त चेहरों की प्रतिष्ठा इन पंचायत चुनावों में दांव पर लगी है. अगर जीते तो भविष्य के लिए और सशक्त हो जाएंगे, लेकिन हारने पर भविष्य की राह काफी कठिन होने वाली है. हिमाचल में पंचायत चुनाव के लिए 17, 19 और 21 जनवरी को वोटिंग होगी. जिला परिषद और बीडीसी चुनाव का परिणाम 22 जनवरी को घोषित होगा.