हिमाचल के सिरमौर (Sirmaur) जिले के सतोन के समीप कच्ची ढांग पर टूटने के 13 दिनों बाद भी राष्ट्रीय राज मार्ग 707 बहाल नहीं हो पाया है. इस वजह से एशिया की सबसे बड़ी चूना पत्थर मंडियों (Limestone Market) में से एक सतोन चूना पत्थर मंडी को करोड़ों रुपयों का नुकसान हो चुका है. साथ ही सरकार को भी करोड़ों के राजस्व (Revenue Loss) का नुकसान हो चुका है. सतोन स्थित दर्जनों चूना पत्थर उद्योग बंद (Limestone Industry Closed) होने के कगार पर पहुंच गए हैं. स्थानीय व्यापारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि व्यवस्था नहीं सुधरी तो पांवटा साहिब (Paonta Sahib) में अम्बाला देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग 07 (Ambala Dehradun National Highway 07) को जाम कर दिया जाएगा.
सतोन के समीप कच्ची ढांग पर राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पिछले 13 दिनों से बंद पड़ा है. यहां एनएच का लगभग 200 मीटर हिस्सा खाई में तब्दील हो गया है. राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण 13 दिनों के बाद भी इस मार्ग को नहीं खोल पाया है. हैरानी की बात ये है कि कोई वैकल्पिक मार्ग भी अभी तक तैयार नहीं हो पाया है. इस वजह से लोगों को हो रही परेशानियों का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.
दूसरी ओर एकमात्र सड़क मार्ग बंद होने से एशिया की सबसे बड़ी चूना पत्थर मंडियों में से एक सतोन चूना पत्थर मंडी में भी सन्नाटा छा गया है. चूना पत्थर व्यवसायियों को व्यापार में करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है. जबकि सरकार को भी व्यापार बंद होने से 2 से 3 करोड़ के राजस्व का नुकसान हो चुका है. लिहाजा स्थानीय ट्रक यूनियनों ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि जल्द सड़क मार्ग बहाल नहीं हुआ तो पांवटा साहिब में अंबाला चंडीगढ़ देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया जाएगा. यहां लोग प्रशासन और विभागों की लापरवाही से बेहद खफा हैं.
व्यापारियों और ट्रक चालकों के अलावा चूना पत्थर मंडी में काम करने वाले सैकड़ों मजदूरों पर भी रोजी रोटी का संकट आन पड़ा है. मंडी में काम ठप पड़ा है तो रोज कमाकर पेट भरने वाले मजदूरों की आमदनी भी बंद हो गई है. ऐसे में सैकड़ों मजदूर मंडी छोड़कर अन्य स्थानों पर चले गए हैं. जो बचे हैं वे किसी तरह गुजारा कर रहे हैं.
सड़क बंद होने से कारोबार ठप हो गया है और ट्रकों के पहिए जाम हो गए हैं. ट्रकों के पहिए जाम होने की वजह से माल की ढुलाई नहीं हो रही है और उद्योगों को रोजाना लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है. ट्रकों के मालिकों को तो भारी नुकसान उठाना ही पड़ रहा है ट्रकों के ड्राइवरों और कंडक्टर का रोजगार भी खत्म हो गया है. इन्हें समझ नहीं आ रहा है कि बिना पैसों के घर में बच्चे दिवाली कैसे मनाएंगे.
यात्री परेशान हैं. उद्योग और व्यापार पर गहरा संकट छा गया है. उबरने का मार्ग दूर तक नजर नहीं आ रहा है और विभाग कह रहा है कि व्यवस्था सुधारने में अभी वक्त लगेगा. ऐसे में नुकसान और परेशानियां उठा रहे लोग आखिर जाएं तो जाएं कहां.
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FIRST PUBLISHED : October 18, 2019, 12:50 IST