हिमाचली शहीद फौजी जवान अंचित का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

22 साल का शहीद अंचित अरुणाचल में तैनात था.
Himachal Martyred Cremation: अचिंत अपने माता पिता इकलौता बेटा था. वह एक साल पहले ही भर्ती हुआ था. अंचित की एक बहन है. पिता राजेश व मां सुनीता के साथ-साथ दादा-दादी से 24 अक्तूबर को वापस डयूटी पर लौटते वक्त जल्द घर आने का वादा कर गया था.
- News18Hindi
- Last Updated: November 28, 2020, 2:50 PM IST
नाहन. अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में शहीद हुए सैनिक अंचित शर्मा (22) का शव शनिवार को पैतृक गांव पहुंचा. हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में राजगढ़ (Rajgarh) में हजारों लोगों ने अंचित शर्मा अमर रहे के नारे लगाए गए. शहीद सैनिक के पैतृक गांव धार पजेरा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ शव का अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान हजारों लोगों ने नम आंखों से शहीद (Martyred) को अंतिम विदाई दी.
सुबह सड़क मार्ग से लाया गया शव
इससे पहले, शुक्रवार को अंचित की पार्थिव देह को अरुणाचल के डिब्रूगढ़ से हवाई मार्ग से दिल्ली और फिर चंडीगढ लाया गया. शनिवार सुबह सड़क मार्ग से सोलन होते पार्थिव देह को राजगढ़ लाया गया. राजगढ़ में हजारों लोगों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी. वहां से शहीद को उनके गांव धार पजेरा उनके घर लाया गया. जहां परिजनों व अन्य गणमान्य लोगों ने शहीद को श्रद्धा सुमन अर्पित किए. शहीद की पार्थिव देह घर में पहुंचते ही महिलाओं की चीख पुकार से माहौल गमगीन हो गया. शहीद का राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया. सैन्य टुकड़ी ने हवा में फायरिंग कर अंतिम सलामी दी.
मां बाप ने खोई इकलौती संतानअचिंत अपने माता पिता इकलौता बेटा था. वह एक साल पहले ही भर्ती हुआ था. अंचित की एक बहन है. पिता राजेश व मां सुनीता के साथ-साथ दादा-दादी से 24 अक्तूबर को वापस डयूटी पर लौटते वक्त जल्द घर आने का वादा कर गया था. छोटी बहन नीतिका को भाई की शहादत की सूचना मिलने के बाद गहरा झटका लगा है. माता-पिता का अंचित इकलौता बेटा था. दूसरी संतान के रूप में बेटी है. हंसमुख व मिलनसार स्वभाव के अंचित की अचानक ही शहादत की खबर सुनकर हर कोई स्तब्ध है.
सुबह सड़क मार्ग से लाया गया शव
इससे पहले, शुक्रवार को अंचित की पार्थिव देह को अरुणाचल के डिब्रूगढ़ से हवाई मार्ग से दिल्ली और फिर चंडीगढ लाया गया. शनिवार सुबह सड़क मार्ग से सोलन होते पार्थिव देह को राजगढ़ लाया गया. राजगढ़ में हजारों लोगों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी. वहां से शहीद को उनके गांव धार पजेरा उनके घर लाया गया. जहां परिजनों व अन्य गणमान्य लोगों ने शहीद को श्रद्धा सुमन अर्पित किए. शहीद की पार्थिव देह घर में पहुंचते ही महिलाओं की चीख पुकार से माहौल गमगीन हो गया. शहीद का राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया. सैन्य टुकड़ी ने हवा में फायरिंग कर अंतिम सलामी दी.
मां बाप ने खोई इकलौती संतानअचिंत अपने माता पिता इकलौता बेटा था. वह एक साल पहले ही भर्ती हुआ था. अंचित की एक बहन है. पिता राजेश व मां सुनीता के साथ-साथ दादा-दादी से 24 अक्तूबर को वापस डयूटी पर लौटते वक्त जल्द घर आने का वादा कर गया था. छोटी बहन नीतिका को भाई की शहादत की सूचना मिलने के बाद गहरा झटका लगा है. माता-पिता का अंचित इकलौता बेटा था. दूसरी संतान के रूप में बेटी है. हंसमुख व मिलनसार स्वभाव के अंचित की अचानक ही शहादत की खबर सुनकर हर कोई स्तब्ध है.