चीन तिब्बत सीमा (China Tibet border) से सटा गांव चारंग जनजातीय जिला किन्नौर (Kinnaur) का अंतिम गांव है जहां शिक्षा (Eduacation) की ज्योति बुझने की कगार पर पहुंच गई है. चारंग गांव के नौनिहालों को भीषण गर्मी हो या फिर बर्फबारी एक कमरे (Middle and Primary School in one room) में शिक्षा ग्रहण करने पर मजबूर होना पड़ रहा है. चारंग में नए स्कूल भवन के निर्माण के लिए शिक्षा विभाग ने लोक निर्माण विभाग को वर्ष 2016 में करीब 18 लाख रुपये दिए थे. यहां ठेकेदार ने काम शुरू किया मगर गड्ढे खोदने के बाद फिर काम रोक दिया. इस वजह से आज गांव के नौनिहाल खुले आसमान तले शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं. वहीं शिक्षा और लोकनिर्माण विभाग (PWD) नींद में है.
गौरतलब है कि चारंग गांव किन्नौर जिले का अंतिम गांव है. यहां से चंद दूरी पर चीन तिब्बत सीमा है. स्कूल भवन नहीं होने से स्कूली बच्चों को मात्र एक कमरे में या फिर खुले आसमान के नीचे शिक्षा दी जाती है. यहां पर मिडिल व प्राइमरी कक्षाएं एक साथ एक कमरे में चलाई जाती हैं.
इस बारे में चारंग निवासी सनम नेगी व प्रदीप नेगी ने कहा कि शिक्षा विभाग, लोक निर्माण विभाग व ठेकेदार की नाकामी के कारण आज गांव के नौनिहालों को खुले में शिक्षा ग्रहण करने पर मजबूर होना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 से चारंग गांव में प्राइमरी व मिडिल स्कूल के बच्चे एक ही कमरे के किराए के भवन में पढ़ रहे हैं. उन्होंने प्रशासन व सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द स्कूल भवन निर्माण का काम पूरा किया जाए. ऐसा नहीं किए जाने पर गांव के लोग शिक्षा व लोक निर्माण विभाग का घेराव करेंगे. इस मामले में लोक निर्माण व शिक्षा विभाग ने कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया.
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FIRST PUBLISHED : December 02, 2019, 15:01 IST