शिमला. बीते कुछ सालों में खान-पान और रहन-सहन में बदलाव के चलते हिमाचल में हार्ट अटैक के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी के कॉर्डियोलॉजी विभाग के अनुसार कुछ सालों में प्रदेशभर में बीते कुछ सालों में दिल के दौरे के मरीजों के मामलों के अध्ययन से पता चला है ह्रद्य संबंधी रोग बढ़ रहे हैं. कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीसी नेगी के अनुसार प्रदेश में हार्ट अटैक से 100 में से औसतन 10 मरीजों की मौत हो रही है. जिला शिमला में हर रोज एक व्यक्ति को हार्ट अटैक आ रहा है, प्रदेशभर में सालभर में करीब 3 से 4 हजार लोगों को दिल का दौरा पड़ रहा है.
मौत के कारणों को लेकर डॉ. नेगी ने बताया कि दिल के दौरे के लक्षणों के बारे में जानकारी का अभाव और अस्पताल पहुंचने में देरी प्रमुख कारणों में से एक है. आम लोगों को भी इसके बारे में जागरूक और सजग होना जरूरी है, उन्हें भी ये जानकारी रखनी चाहिए ताकि समय पर मरीज को असप्ताल पहुंचाया जा सके.
हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण हर मरीज औसतन 13 घंटे देरी से अस्पताल पहुंच रहा है जबकि दिल का दौरा पड़ने के एक घंटे के भीतर मरीज अस्पताल पहुंचना जरूरी है, इससे मरीज की जान बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है. दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि जैसे ही किसी को दिल का दौरा पड़ता है, उसे तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल पहुंचा जाए और वहां पर तैनात डॉक्टर या अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को इस संबंधी प्राथमिक उपचार की जानकारी हो तो मरीज की जान बचाई जा सकती है.
डॉ. नेगी ने कहा कि इसको लेकर एक कारगर योजना तैयार की गई है. इससे लड़ने में टेलिमेडिसिन एक बड़ा हथियार है. उन्होंने बताया कि सभी ब्लॉक और जिला स्तर पर कुछ बड़े और छोटे अस्पताल चिन्हित किए गए हैं, इन्हें टेलिमेडिसन से जोड़ा जाएगा और इन अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को हार्ट अटैक के उपचार संबंधी बेसिक ट्रेनिंग दी जाएगी और जागरूक किया जाएगा.
मदद के लिए व्हाट्सएप ग्रुप तैयार
आईजीएमसी की देखरेख में ये अभियान चलाया जाएगा, इनकी मदद के लिए एक व्हाट्सएप ग्रूप भी तैयार बनाया गया है. इस ग्रूप के जरिए स्टाफ को आईजीएमसी के विशेषज्ञ डॉक्टर सलाह देंगे ताकि अस्पताल पहुंचने में देरी के जो 13 घंटे का समय है उसको कम किया जा सके. उन्होंने कहा कि ह्रद्यघात में समय बहुत महत्वपूर्ण होता है, समय रहते इस संबंधी प्राथमिक उपचार मिलना जरूरी है. उन्होंने बताया कि आम जनता को भी जागरूक किया जाएगा कि किस तरह से सावधानी बरतनी है और दिल का दौरा पड़ने पर क्या करना जरूरी है क्योंकि मरीज का देरी से अस्पताल पहुंचना ही मौत का सबसे बड़े कारण होगा. इस जागरूकता अभियान में आशा वर्करों की भी मदद ली जाएगी.
हार्ट अटैक का मुख्य कारण
डॉ. नेगी ने बाताया कि वर्तमान में 35 फीसदी लोग समय रहते अस्पताल पहुंच जाते हैं लेकिन 65 फीसदी पहुंच ही नहीं पाते. अब स्थिती ये है कि 20 साल के युवा को भी हार्ट अटैक आ रहे हैं, इसका मुख्य कारण धूम्रपान है. हार्ट अटैक के मुख्य लक्षण सीने में दर्द, बाजू में दर्द, दर्द का कंधे में चले जाना, ठंडा पसीना आना, सांस लेने में दिक्कत, कमजोरी महसूस होना, चलते वक्त तुरंत थक जाना और सांस फूलना इत्यादी हैं.
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