हिमाचल चुनाव : धूमल की सीट बदलने पर उठ रहे सवाल

प्रेम कुमार धूमल.
हिमाचल प्रदेश में भाजपा के सीएम कैंडिडेट प्रेम कुमार धूमल को जिस तरह से हार का सामना करना पड़ा है, उससे भाजपा की रणनीति पर कई सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल है क्या प्रेम कुमार धूमल अपनी ही पार्टी की गुटबाजी का शिकार हुए हैं? क्या जानबूझकर भाजपा हाईकमान ने एक रणनीति के तहत उनकी सीट बदली? क्या नड्डा खेमे ने जानबूझकर उनकी सीट बदलवाई?
- News18Hindi
- Last Updated: December 19, 2017, 3:15 PM IST
हिमाचल प्रदेश में भाजपा के सीएम कैंडिडेट प्रेम कुमार धूमल को जिस तरह से हार का सामना करना पड़ा है, उससे भाजपा की रणनीति पर कई सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल है क्या प्रेम कुमार धूमल अपनी ही पार्टी की गुटबाजी का शिकार हुए हैं? क्या जानबूझकर रणनीति के तहत उनकी सीट बदली? क्या भाजपा के एक खेमे ने जानबूझकर उनकी सीट बदलवाई?
एक नेता के लिए रास्ता बनाने के लिए बदली धूमल की सीट?
बता दें कि जब हिमाचल में चुनावों की घोषणा हुई थी, तब केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा भी सीएम पद की रेस में थे. लेकिन नड्डा की जमीनी स्तर पर हिमाचल में इतनी पकड़ नहीं थी, इसलिए भाजपा उन्हें सीएम प्रत्याशी बनाने से पीछे हट गई. कांग्रेस के बार-बार सवाल उठाने और भाजपा में भी सीएम के नाम की घोषणा को लेकर उठती मांगों के बाद ही धूमल को सीएम का प्रत्याशी बनाया गया.
सीएम कैंडिडेट को सेफ सीट से क्यों नहीं उताराएक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्यों सीएम कैंडिडेट को सेफ सीट मैदान में नहीं उतारा गया. क्यों धूमल को ऐसे कद्दावर नेता के खिलाफ सुजानपुर सीट पर भेजा गया, जहां पर उसका मजबूत जनाधार है?
बता दें राजेंद्र राणा का सुजानपुर में मजबूत जनाधार है. वे काफी लोकप्रिय और जमीन से जुड़े हुए नेता हैं. कभी धूमल के साथ ही चुनाव प्रचार और उनके चेले रहे राणा को आंकने में भी भाजपा ने गलती की. इन बातों से धूमल की सीट बदलने को लेकर सवाल उठते हैं. खैर, अब धूमल हार चुके हैं, लेकिन उनकी हार की भाजपा समीक्षा कर रही है.
हमीरपुर सीट से आसानी से जीतते थे धूमल
प्रेम कुमार धूमल को हलका बदलने का भी खामियाजा भगुतना पड़ा. नए क्षेत्र में चुनाव लड़ने के कारण उनके निजी वोट उन्हें नहीं मिले. हालांकि कैडर वोट जरूर उन्हें मिला, लेकिन बाहरी होने की छाप भी उनके विपक्ष में गई. बता दें कि बीते 2012 चुनाव में धूमल ने हमीरपुर से 9302 वोटों से जीत दर्ज की थी. जबकि इस चुनाव में 1919 वोटों से हार का सामना करना पड़ा.
एक नेता के लिए रास्ता बनाने के लिए बदली धूमल की सीट?
बता दें कि जब हिमाचल में चुनावों की घोषणा हुई थी, तब केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा भी सीएम पद की रेस में थे. लेकिन नड्डा की जमीनी स्तर पर हिमाचल में इतनी पकड़ नहीं थी, इसलिए भाजपा उन्हें सीएम प्रत्याशी बनाने से पीछे हट गई. कांग्रेस के बार-बार सवाल उठाने और भाजपा में भी सीएम के नाम की घोषणा को लेकर उठती मांगों के बाद ही धूमल को सीएम का प्रत्याशी बनाया गया.
सीएम कैंडिडेट को सेफ सीट से क्यों नहीं उताराएक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्यों सीएम कैंडिडेट को सेफ सीट मैदान में नहीं उतारा गया. क्यों धूमल को ऐसे कद्दावर नेता के खिलाफ सुजानपुर सीट पर भेजा गया, जहां पर उसका मजबूत जनाधार है?
बता दें राजेंद्र राणा का सुजानपुर में मजबूत जनाधार है. वे काफी लोकप्रिय और जमीन से जुड़े हुए नेता हैं. कभी धूमल के साथ ही चुनाव प्रचार और उनके चेले रहे राणा को आंकने में भी भाजपा ने गलती की. इन बातों से धूमल की सीट बदलने को लेकर सवाल उठते हैं. खैर, अब धूमल हार चुके हैं, लेकिन उनकी हार की भाजपा समीक्षा कर रही है.
हमीरपुर सीट से आसानी से जीतते थे धूमल
प्रेम कुमार धूमल को हलका बदलने का भी खामियाजा भगुतना पड़ा. नए क्षेत्र में चुनाव लड़ने के कारण उनके निजी वोट उन्हें नहीं मिले. हालांकि कैडर वोट जरूर उन्हें मिला, लेकिन बाहरी होने की छाप भी उनके विपक्ष में गई. बता दें कि बीते 2012 चुनाव में धूमल ने हमीरपुर से 9302 वोटों से जीत दर्ज की थी. जबकि इस चुनाव में 1919 वोटों से हार का सामना करना पड़ा.