हिमाचल चुनाव: जिसने फतेह किया ये 'किला' उसकी बनी सरकार

प्रतीकात्मक तस्वीर.
हिमाचल प्रदेश का चुनावी इतिहास बताता है कि भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से सत्ता में रही है, लेकिन अहम बात यह है कि कांगड़ा और मंडी जिले काफी महत्व रखते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: December 18, 2017, 6:19 AM IST
हिमाचल प्रदेश का चुनावी इतिहास बताता है कि भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से सत्ता में रही है, लेकिन अहम बात यह है कि कांगड़ा और मंडी जिले काफी महत्व रखते हैं. वर्ष 1985 के बाद से कांगड़ा से विधानसभा का रास्ता शिमला तक पहुंचता है. क्योंकि कांगड़ा में सबसे ज्यादा 15 सीटें हैं. जो भी पार्टी यहां ज्यादा सीटें जीतती है, वही सरकार बनाती है.
विधानसभा चुनाव-2012
साल 2012 विधानसभा चुनाव में 15 सीटों में से कांग्रेस को 10 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं, बीजेपी के हिस्से तीन और निर्दलीयों ने 2 सीटों पर जीत का स्वाद चखा था.
विधानसभा चुनाव-2007 वर्ष 2007 में हिमाचल में विधानसभा चुनाव हुए. उस दौरान कांगड़ा में भाजपा को नौ सीटें प्राप्त हुई. कांग्रेस को पांच सीटों पर जीत नसीब हुई. एक सीट बसपा के खाते में गई. भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मिली और धूमल के नेतृत्व में सरकार बनी.
विधानसभा चुनाव-2003
साल 2003 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 11 सीटों पर जीत का स्वाद चखा. भाजपा को 4 सीटों से संतोष करना पड़ा. नतीजतन, वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनी.
विधानसभा चुनाव-1998
साल 1998 में हुए चुनाव में भाजपा ने कांगड़ा के किले को फतह किया. 10 सीटें जीतीं. कांग्रेस के खाते में 5 गई. एक निर्दलीय के खाते में गई. इस दौरान कांगड़ा में 16 विधानसभा क्षेत्र थे. निर्दलीय जीते रमेश ध्वाला ने भाजपा को समर्थन दिया और सरकार भाजपा ने बनाई.
इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही 31 -31 सीटें जीते थी. हिमाचल विकास कांग्रेस के समर्थन से प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी.
विधानसभा चुनाव-1993
साल 1993 में भी कांगड़ा में 16 सीटें थी. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 13 और भाजपा को 3 सीटें मिली. वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने सरकार बनाई.
साल 1990 और 1985 विधानसभा चुनाव
साल 1990 विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांगड़ा में 12 सीटें मिली. शांता कुमार प्रदेश के सीएम बने. वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में कांगड़ा में कांग्रेस ने 12 सीटों पर परचम लहराया. वीरभद्र सिंह को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया. इससे साफ होता है कि 32 साल से कांगड़ा से ही विधानसभा का रास्ता तय होता है. कांगड़ा के बाद मंडी में 10 विधानसभा सीटें और शिमला में आठ सीटें हैं.
विधानसभा चुनाव-2012
साल 2012 विधानसभा चुनाव में 15 सीटों में से कांग्रेस को 10 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं, बीजेपी के हिस्से तीन और निर्दलीयों ने 2 सीटों पर जीत का स्वाद चखा था.
विधानसभा चुनाव-2007 वर्ष 2007 में हिमाचल में विधानसभा चुनाव हुए. उस दौरान कांगड़ा में भाजपा को नौ सीटें प्राप्त हुई. कांग्रेस को पांच सीटों पर जीत नसीब हुई. एक सीट बसपा के खाते में गई. भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मिली और धूमल के नेतृत्व में सरकार बनी.
विधानसभा चुनाव-2003
साल 2003 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 11 सीटों पर जीत का स्वाद चखा. भाजपा को 4 सीटों से संतोष करना पड़ा. नतीजतन, वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनी.
विधानसभा चुनाव-1998
साल 1998 में हुए चुनाव में भाजपा ने कांगड़ा के किले को फतह किया. 10 सीटें जीतीं. कांग्रेस के खाते में 5 गई. एक निर्दलीय के खाते में गई. इस दौरान कांगड़ा में 16 विधानसभा क्षेत्र थे. निर्दलीय जीते रमेश ध्वाला ने भाजपा को समर्थन दिया और सरकार भाजपा ने बनाई.
इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही 31 -31 सीटें जीते थी. हिमाचल विकास कांग्रेस के समर्थन से प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी.
विधानसभा चुनाव-1993
साल 1993 में भी कांगड़ा में 16 सीटें थी. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 13 और भाजपा को 3 सीटें मिली. वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने सरकार बनाई.
साल 1990 और 1985 विधानसभा चुनाव
साल 1990 विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांगड़ा में 12 सीटें मिली. शांता कुमार प्रदेश के सीएम बने. वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में कांगड़ा में कांग्रेस ने 12 सीटों पर परचम लहराया. वीरभद्र सिंह को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया. इससे साफ होता है कि 32 साल से कांगड़ा से ही विधानसभा का रास्ता तय होता है. कांगड़ा के बाद मंडी में 10 विधानसभा सीटें और शिमला में आठ सीटें हैं.