राजधानी में पहुंचे धूल के गूबार से पिछले दो दिनों में प्रदूषण का स्तर 2.5 गुना बढ़ा है और इस तूफान को राकने के लिए बारिश का होना बहुत जरूरी हो गया है. मैदानी इलाकों में छाई धूल की धूंध अब पहाड़ों में पहुंच गई है. धूल ने शिमला समेत हिमाचल के तमाम इलाकों को अपने आगोश में ले लिया है. आलम यह है कि शिमला में विजिबिलिटी कम हो गई है.
धूल का सबसे ज्यादा प्रभाव एयर क्वालिटी पर पड़ा है. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर संजीव शर्मा के अनुसार पिछले दो दिनों में राजधानी में प्रदूषण 2.5 गुना बढ़ा है. 12 जून को जो स्तर 61.35 था वो बढ़ कर 250.9 हो गया है. 1 जून से 13 जून तक राजधानी में गुड एयर क्वालिटी थी और पिछले दो दिनों में एयर क्वालिटी का स्तर गिरा है.
शिमला में पहुंचने वाली वैस्ट्रन विंड अपने साथ धूल के कण लेकर आई है, जिसका प्रभाव उत्तरी भारत में देखने को मिल रहा है. प्रदेश में धूल की आंधी तभी खत्म हो पाएगी जब बारिश होगी. अगर मौसम महरबानी नहीं दिखाता है तो आंधी नुकसान कर सकती है. इसका सबसे ज्यादा असर स्वास्थ्य पर पड़ेगा. धूल के कणों से सांस से संबंधित बिमारियां और आंख संबंधी बीमारियां हो सकती है. ऐसे में अस्थमा के मरीजों को और डस्ट से एलर्जिक लोगों को ज्यादा परेशानी हो सकती है.
प्रदूषण का स्तर अगर 400 के पार जाता है तो अलर्ट की स्थिति पैदा हो जाएगी, लेकिन प्रदेश में कहीं पर भी इस तरह की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है. हिमाचल में पर्यावरण में नमी बहुत है जो कि धूल कणों को सोंख लेता है. इससे धूल की आंधी का प्रभाव प्रदेश में ज्यादा देखने को नहीं मिल रहा है. मौसम विभाग के अनुसार धूल के तुफान का असर किन्नौर और लाहौल स्पिती को छोड़ कर बाकि जिलों में हुआ है. धूल के कारण तापमान में भी बढ़ोतरी हुई है. प्रदेश के मध्यपर्वतीय क्षेत्रों और मैदानी क्षेत्रों में मौसम विभाग की ओर से भारी बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी जारी कर दी गई है.
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FIRST PUBLISHED : June 16, 2018, 08:11 IST