शिमला के पूर्व एसपी डी डब्ल्यू नेगी पर एचआरटीसी के आरएम महेंद्र राना 50 लाख रुपए की मानहानि का दावा करेंगे. चिट्टा मामले में हाईकोर्ट से बरी होने के बाद प्रेस वार्ता में महेंद्र राणा ने आरोप लगाया कि शिमला पुलिस ने उन्हें साजिश के तहत फंसाया.
उनकी छवि को दागदार किया. जिसे पुलिस ‘चिट्टा’ बता रही थी फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट में यह बेकिंग सोडा पाया गया है. राणा ने कहा कि वह पुलिस पर उनके ऊपर झूठी एफआईआर दर्ज करने के मामले में हाईकोर्ट में केस करेंगे.
तत्कालीन एसपी शिमला के खिलाफ 50 लाख का मानहानि का केस करेंगे. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में वह जीपीएस की फुटेज और एसएचओ द्वारा उनसे मांगे गए 5 लाख रुपये की वीडियो जारी करेंगे. बड़ा खुलासा करेंगे.
महिंदर राणा ने कहा कि पुलिस के अनुसार, 30 अप्रैल की रात 12:45 पर जब वह सोलन से शिमला आ रहे थे तो शोघी में पुलिस ने नाका लगा कर उनकी गाड़ी में 4 किलो चिट्टा पकड़ा. और गाड़ी चालक ने कहा कि बैग आरएम का है.
राणा ने कहा कि यह पुलिस ने मनगंढ़त कहानी बनाई है, जबकि वास्तविकता यह है कि 30 अप्रैल को सांय 7:30 पर वह अपनी गाड़ी में उनके दोस्त राजीव और एक अन्य, जो राजीव का दोस्त है, उसके साथ शिमला से सोलन जा रहे रहे थे.
तभी सीआईए के स्टाफ ने शोघी में उन्हें गाड़ी रोक कर उनके साथ मारपीट की और जो बैग तीसरे व्यक्ति के पास था, जिसका नाम विकास था, उसे उनका बैग बता कर कहा कि इसमें चिट्टा है. उन्हें बालूगंज थाना ले गए. जहां डीएसपी रतन नेगी ने उनके साथ मारपीट की. 5 से 7 लाख रुपए मांगे. उन्होंने कहा कि उनकी गाड़ी में जीपीएस लगा है. जो सही लोकेशन बताता है.
उनकी गाड़ी 10 बजे बालूगंज थाना में खड़ी हो गई थी. जो कई दिन तक हिली नहीं तो पुलिस ने 12:45 पर कैसे शोघी में नाका लगा कर पकड़ा.
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FIRST PUBLISHED : August 11, 2017, 16:12 IST