शिमला MC की पहल: आवारा कुत्ता गोद लेंगे तो पार्किंग और कूड़े का नहीं चुकाना पड़ेगा बिल
News18 Himachal Pradesh Updated: November 25, 2019, 3:07 PM IST

शिमला शहर में 2000 से ज्यादा आवारा कुत्ते हैं.
शिमला नगर निगम (Shimla Municipal Corporation) प्रशासन एक आवारा कुत्ते (Street Dog) को गोद (Adoption) लेने वाले को एक गाड़ी की पार्किंग मुफ्त (Parking Free) देगा और साथ में कूड़े का बिल भी माफ किया जाएगा. कुत्तों की देखभाल में भी प्रशासन मदद करेगा.
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- Last Updated: November 25, 2019, 3:07 PM IST
शिमला. हिमाचल की राजधानी शिमला भी आवारा कुत्तों से परेशान है. नगर निगम शिमला ने इस समस्या से निपटने के लिए विशेष पहल शुरू की है. शिमला नगर निगम (Shimla Municipal Corporation) प्रशासन एक आवारा कुत्ते (Street Dog) को गोद (Adoption) लेने वाले को एक गाड़ी की पार्किंग मुफ्त (Parking Free) देगा और साथ में कूड़े का बिल भी माफ किया जाएगा. कुत्तों की देखभाल में भी प्रशासन मदद करेगा. आवारा कुत्तों को पालने के लिए प्रशासन के पास अब तक 20 आवेदन पहुंच चुके हैं. शिमला शहर की आबादी करीब 2 लाख है और 30 हजार से ज्यादा लोगों के अपने घर हैं. शहरभर में 2000 से ज्यादा आवारा कुत्ते हैं. इन आवारा कुत्तों को गोद लेने वालों के लिए इतने ही घरों की जरूरत है. अगर यह पहल सफल हो गई तो शिमला शहर में आवारा कुत्तो की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी.
निगम आयुक्त पंकज रॉय ने शुरू की है यह पहल
नगर निगम शिमला के आयुक्त पंकज रॉय कुछ समय पहले एक ट्रेनिंग के सिलसिले में अमेरिका के दौरे पर गए हुए थे. पंकज रॉय जिस शहर में रह रहे थे, वहां पर आवारा कुत्ते दिखाई नहीं दिए तो उन्हें जिज्ञासा हुई. उन्होंने इसके बारे में जब पूरी पड़ताल की तो उन्हें यह लगा कि यह काम शिमला में भी किया जा सकता है. इस पहल को शिमला की मेयर कुसुम सदरेट भी खासी उत्साहित नजर आ रही हैं. इस पहल की शुरूआत में ही लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है.
नहीं होती नसबंदी तो इनकी आबादी 25 हजार के पार होती
इस समस्या से निपटने के लिए साल 2006 से निगम की ओर से आवारा कुत्तों की नसबंदी का अभियान भी चलाया जा रहा है. अब तक शहर में साढ़े 9 हजार कुत्तों की नसबंदी की गई है. अगर यह कार्य नहीं किया जाता तो शहर में अबतक कुत्तों की संख्या 25 हजार पार कर जाती. ऐसा माना जाता है कि एक कुतिया 5 साल में 50 पिल्लों को जन्म दे सकती है.
कुत्ते की नसबंदी, वैक्सीनेशन और दवाइयां मिलेगी मुफ्तहर महीने कुत्तों के काटने के दर्जनों मामले सामने आते हैं. आवारा कुत्तों से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों और बच्चों को होता है. एक जानकारी के मुताबिक आवारा कुत्तों से ज्यादा पालतू कुत्तों के काटने के मामले ज्यादा होते हैं. इस पहल के लिए नीति तैयार की जा रही है, जिसे जल्द ही निगम के हाउस में पेश किया जाएगा. प्रशासन की ओर से कुत्ते की मुफ्त नसबंदी की जाएगी. वैक्सीनेशन किया जाएगा और दवाइयां भी फ्री दी जाएंगी. रैबीज की दवाई के साथ साथ रजिस्ट्रेशन भी मुफ्त करवाया जाएगा. हर महीने चैकअप की सुविधा दी जाएगी.

गोद लेने पर मिलेगी ये सुविधाएं, पर रखनी होगी सावधानियां
कुत्ता गोद लेने वाले को एक टोकन दिया जाएगा. कुत्ते के गले के लिए एक शानदार कॉलर यानि पट्टा भी दिया जाएगा. पार्किंग और अन्य सुविधा के लालच में अगर कोई कुत्ता गोद लेने के कुछ समय बाद उसे छोड़ देगा तो उस पर कार्रवाई का भी प्रावधान है. 10 हजार रूपए जुर्माने के अलावा अन्य कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. इसके लिए हर 6 महीनों में निगम का अधिकारी चेकिंग करेगा और साथ ही गोद लेने वाले को हर साल कुत्ते का रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराना पड़ेगा. 30 नवंबर को नगर निगम का हाउस है. प्रशासन ने फैसला किया है कि सदन में इस प्रस्ताव को पेश किया जाएगा.और साथ उन लोगों को भी सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने कुत्तों को गोद लेने के लिए आवेदन किया है.
'आवारा कुत्ते में रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता अधिक होती है'
नीरज मोहन, वेटनरी हेल्थ ऑफिसर, नगर निगम शिमला का कहना है कि आवारा कुत्तों को लेकर लोगों के मन में काफी भ्रांतियां हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है. पशु चिकित्सक बताते हैं कि स्ट्रीट डॉग्स में बीमारियां नहीं होतीं. इनमें रोगों से लड़ने की क्षमता पालतू कुत्तों से ज्यादा होती है और ये समझदार भी काफी होते हैं. इन्हें ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती.
कुत्ता पालना फायदेमंद
शिमला में हर घर से कूड़ा उठाने के लिए निगमकर्मी आते हैं. कूड़ा उठाने के बदले हर घर से प्रति माह 80 रुपये शुल्क वसूला जाता है. इस लिहाज से सालाना 960 रूपए की बचत होगी. शहर में 50 हजार से ज्यादा वाहन हैं और पार्किंग की व्यवस्था सिर्फ 11,500 वाहनों के लिए ही है. ऐसे में पार्किंग के लिए काफी फीस चुकानी पड़ती है. ऐसे में इस मोर्चे पर भी थोड़ी बचत होगी.
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निगम आयुक्त पंकज रॉय ने शुरू की है यह पहल
नगर निगम शिमला के आयुक्त पंकज रॉय कुछ समय पहले एक ट्रेनिंग के सिलसिले में अमेरिका के दौरे पर गए हुए थे. पंकज रॉय जिस शहर में रह रहे थे, वहां पर आवारा कुत्ते दिखाई नहीं दिए तो उन्हें जिज्ञासा हुई. उन्होंने इसके बारे में जब पूरी पड़ताल की तो उन्हें यह लगा कि यह काम शिमला में भी किया जा सकता है. इस पहल को शिमला की मेयर कुसुम सदरेट भी खासी उत्साहित नजर आ रही हैं. इस पहल की शुरूआत में ही लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है.
नहीं होती नसबंदी तो इनकी आबादी 25 हजार के पार होती
इस समस्या से निपटने के लिए साल 2006 से निगम की ओर से आवारा कुत्तों की नसबंदी का अभियान भी चलाया जा रहा है. अब तक शहर में साढ़े 9 हजार कुत्तों की नसबंदी की गई है. अगर यह कार्य नहीं किया जाता तो शहर में अबतक कुत्तों की संख्या 25 हजार पार कर जाती. ऐसा माना जाता है कि एक कुतिया 5 साल में 50 पिल्लों को जन्म दे सकती है.
कुत्ते की नसबंदी, वैक्सीनेशन और दवाइयां मिलेगी मुफ्त
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नगर निगम शिमला के आयुक्त पंकज रॉय की पहल पर आवारा कुत्तों को गोद लेने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है.
गोद लेने पर मिलेगी ये सुविधाएं, पर रखनी होगी सावधानियां
कुत्ता गोद लेने वाले को एक टोकन दिया जाएगा. कुत्ते के गले के लिए एक शानदार कॉलर यानि पट्टा भी दिया जाएगा. पार्किंग और अन्य सुविधा के लालच में अगर कोई कुत्ता गोद लेने के कुछ समय बाद उसे छोड़ देगा तो उस पर कार्रवाई का भी प्रावधान है. 10 हजार रूपए जुर्माने के अलावा अन्य कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. इसके लिए हर 6 महीनों में निगम का अधिकारी चेकिंग करेगा और साथ ही गोद लेने वाले को हर साल कुत्ते का रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराना पड़ेगा. 30 नवंबर को नगर निगम का हाउस है. प्रशासन ने फैसला किया है कि सदन में इस प्रस्ताव को पेश किया जाएगा.और साथ उन लोगों को भी सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने कुत्तों को गोद लेने के लिए आवेदन किया है.
'आवारा कुत्ते में रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता अधिक होती है'
नीरज मोहन, वेटनरी हेल्थ ऑफिसर, नगर निगम शिमला का कहना है कि आवारा कुत्तों को लेकर लोगों के मन में काफी भ्रांतियां हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है. पशु चिकित्सक बताते हैं कि स्ट्रीट डॉग्स में बीमारियां नहीं होतीं. इनमें रोगों से लड़ने की क्षमता पालतू कुत्तों से ज्यादा होती है और ये समझदार भी काफी होते हैं. इन्हें ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती.
कुत्ता पालना फायदेमंद
शिमला में हर घर से कूड़ा उठाने के लिए निगमकर्मी आते हैं. कूड़ा उठाने के बदले हर घर से प्रति माह 80 रुपये शुल्क वसूला जाता है. इस लिहाज से सालाना 960 रूपए की बचत होगी. शहर में 50 हजार से ज्यादा वाहन हैं और पार्किंग की व्यवस्था सिर्फ 11,500 वाहनों के लिए ही है. ऐसे में पार्किंग के लिए काफी फीस चुकानी पड़ती है. ऐसे में इस मोर्चे पर भी थोड़ी बचत होगी.
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First published: November 25, 2019, 3:07 PM IST
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