जानिए कौन हैं राजेंद्र राणा, जिन्होंने बीजेपी के सीएम कैंडीडेट धूमल को हराया

Himachal Assembly election Dhumal and Rana.
हमीरपुर की सुजानपुर सीट से भाजपा के सीएम कैंडीडेट को टक्कर देने वाले कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा हिमाचल के अलावा, इस इलाके में पहचान के मोहताज नहीं हैं. कभी भाजपा में रहे राणा धूमल के चेले थे. उनके खासमखास हुआ करते थे.
- News18Hindi
- Last Updated: December 18, 2017, 6:16 PM IST
हमीरपुर की सुजानपुर सीट से बीजेपी के सीएम कैंडीडेट को टक्कर देने वाले कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा हिमाचल के अलावा, इस इलाके में पहचान के मोहताज नहीं हैं. कभी बीजेपी में रहे राणा, प्रेम कुमार धूमल के चेले थे. उनके ख़ासमख़ास हुआ करते थे.
एक समय था जब धूमल के सारे चुनाव का दारोमदार राणा के कंधों पर रहता था, लेकिन धूमल सरकार के कार्यकाल के दौरान ही शिमला में प्राइवेट होटल में पैसे के लेन-देन को लेकर धूमल और उनके परिवार पर सवाल उठे थे.
इस पर राणा ने बीजेपी से रिश्ता तोड़ लिया. साल 2012 में निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते. वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी तो राजेंद्र राणा ने बाहर से सरकार को समर्थन दिया. बाद में राणा कांग्रेस में चले गए. इसके बाद कांग्रेस ने हमीरपुर से राणा को लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी बनाया. लेकिन सांसद अनुराग ठाकुर ने उन्हें मात दी. बाद में राणा को कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया.
2012 में आज़ाद जीते थे राणाराजेंद्र राणा की सुजानपुर में काफी पकड़ है. वो यहां से गरीबों के मसीहा माने जाते हैं. गरीब लोगों की बेटियों की शादी करवाने की बात हो या फिर मुसीबत में फंसे लोगों की मदद का मुद्दा. राणा हमेशा आगे रहते हैं. सामाजिक संस्था चलाते हैं.
राजेंद्र राणा ने 2012 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़ते हुए भारी अंतर से जीत हासिल की थी. उन्होंने इस सीट पर 24674 वोट हासिल किए थे, जबकि कांग्रेस की अंकिता वर्मा सिर्फ 10,508 वोट ही जीत सकीं थी. माना जा रहा है इसी के चलते इस बार कांग्रेस ने राजेंद्र राणा को पार्टी में शामिल किया ताकि वो धूमल को कड़ी टक्कर दे सकें. इस बार यहां से कुल पांच प्रत्याशी मैदान में थे.
पांच सीटों वाले जिला हमीरपुर में पिछले चुनावों में बीजेपी को तीन सीटें मिली थीं. हमीरपुर सदर से प्रेम कुमार धूमल, भोरंज से दिवंगत आई डी धीमान, नादौन से विजय अग्निहोत्री ने जीत दर्ज़ की थी.
एक समय था जब धूमल के सारे चुनाव का दारोमदार राणा के कंधों पर रहता था, लेकिन धूमल सरकार के कार्यकाल के दौरान ही शिमला में प्राइवेट होटल में पैसे के लेन-देन को लेकर धूमल और उनके परिवार पर सवाल उठे थे.
इस पर राणा ने बीजेपी से रिश्ता तोड़ लिया. साल 2012 में निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते. वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी तो राजेंद्र राणा ने बाहर से सरकार को समर्थन दिया. बाद में राणा कांग्रेस में चले गए. इसके बाद कांग्रेस ने हमीरपुर से राणा को लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी बनाया. लेकिन सांसद अनुराग ठाकुर ने उन्हें मात दी. बाद में राणा को कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया.
2012 में आज़ाद जीते थे राणाराजेंद्र राणा की सुजानपुर में काफी पकड़ है. वो यहां से गरीबों के मसीहा माने जाते हैं. गरीब लोगों की बेटियों की शादी करवाने की बात हो या फिर मुसीबत में फंसे लोगों की मदद का मुद्दा. राणा हमेशा आगे रहते हैं. सामाजिक संस्था चलाते हैं.
राजेंद्र राणा ने 2012 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़ते हुए भारी अंतर से जीत हासिल की थी. उन्होंने इस सीट पर 24674 वोट हासिल किए थे, जबकि कांग्रेस की अंकिता वर्मा सिर्फ 10,508 वोट ही जीत सकीं थी. माना जा रहा है इसी के चलते इस बार कांग्रेस ने राजेंद्र राणा को पार्टी में शामिल किया ताकि वो धूमल को कड़ी टक्कर दे सकें. इस बार यहां से कुल पांच प्रत्याशी मैदान में थे.
पांच सीटों वाले जिला हमीरपुर में पिछले चुनावों में बीजेपी को तीन सीटें मिली थीं. हमीरपुर सदर से प्रेम कुमार धूमल, भोरंज से दिवंगत आई डी धीमान, नादौन से विजय अग्निहोत्री ने जीत दर्ज़ की थी.