शिमला में बंदरों का आतंक बदस्तूर जारी, नगर निगम ने खड़े किए हाथ
केंद्र सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित तो कर रखा है, लेकिन इनको मारकर लोगों को राहत देने में न तो नगर निगम और न ही सरकार संजीदा है.
- News18 Himachal Pradesh
- Last Updated: August 1, 2019, 4:41 PM IST
राजधानी शिमला में बंदरों के आतंक से शहरवासियों को निजात नहीं मिलने वाली है. केंद्र सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित तो कर रखा है, लेकिन इनको मारकर लोगों को राहत देने में न तो नगर निगम और न ही सरकार संजीदा है. नगर निगम शिमला ने बंदरों के आतंक से लोगों को राहत दिलाने में हाथ खड़े कर दिए हैं. नगर निगम का कहना है कि वाइल्ड लाइफ विभाग बंदरों का समाधान करे. ऐसे में लोगों को बंदरों से राहत मिलने वाली नहीं है. लोगों को बंदरों के हमलों को झेलते रहना होगा. जाहिर है कि इससे शिमला वासियों की मुसीबत अब और ज्यादा बढ़ने वाली है.
बंदरों के चलते लोग घरों में कैद
बता दें कि राजधानी में शायद ही कोई दिन होगा, जब शिमला शहर के किसी न किसी हिस्से में बंदर लोगों पर हमले न करते हों. बंदरों का आतंक इस कदर है कि शहर के माल रोड, रिज मैदान पर भी लोग इनके हमलों से सुरक्षित नहीं हैं. उपनगरों में तो स्थिति और भी खराब है. यहां तो लोगों को घरों में ही कैद होकर रहना पड़ रहा है. शिमला के उपनगरों में लोग अपने कपड़े तक खुले में नहीं सुखा सकते. उन्हें घर की बालकोनी को भी लोहे की जाली से कवर करना पड़ रहा है. जिन लोगों ने ऐसा किया है, उन्हें इन उत्पाती बंदरों से राहत मिली है. लेकिन जो ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें भारी परेशानी हो रही है.
नगर निगम से ठोस कदम उठाने की मांगशिमला नागरिक सभा के अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा का कहना है कि बंदरों के आतंक से शहरवासी परेशान हैं और नगर निगम इस पर कोई कदम नहीं उठा रहा है. उन्होंने कहा कि एक सप्ताह पहले मेयर को इस समस्या को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा गया था. लेकिन नगर निगम ने कोई कदम नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि नगर निगम का बंदरों के आंतक पर जो रवैया है वह सही नहीं है. उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने में भाजपा शासित नगर निगम गंभीर नहीं है. उन्होंने मांग की कि नगर निगम ठोस कदम उठाते हुए लोगों को बंदरों के आतंक से राहत दिलाए.

नगर निगम ने खड़े किए हाथ
बता दें कि केंद्र सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित किया है और इन्हें मारने की इजाजत दी है. लेकिन न तो सरकार और न ही नगर निगम इसमें पहल करता हुआ नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि नगर निगम ने तो सीधे-सीधे हाथ खड़े कर दिए हैं. नगर निगम की मेयर कुसुम सदरेट के मुताबिक वे इन बंदरों को लेकर कोई कदम नहीं उठा सकतीं. उनका कहना है कि वह केवल वाइल्ड लाइफ विंग को कह भर सकती हैं कि कार्रवाई करे.
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बंदरों के चलते लोग घरों में कैद
बता दें कि राजधानी में शायद ही कोई दिन होगा, जब शिमला शहर के किसी न किसी हिस्से में बंदर लोगों पर हमले न करते हों. बंदरों का आतंक इस कदर है कि शहर के माल रोड, रिज मैदान पर भी लोग इनके हमलों से सुरक्षित नहीं हैं. उपनगरों में तो स्थिति और भी खराब है. यहां तो लोगों को घरों में ही कैद होकर रहना पड़ रहा है. शिमला के उपनगरों में लोग अपने कपड़े तक खुले में नहीं सुखा सकते. उन्हें घर की बालकोनी को भी लोहे की जाली से कवर करना पड़ रहा है. जिन लोगों ने ऐसा किया है, उन्हें इन उत्पाती बंदरों से राहत मिली है. लेकिन जो ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें भारी परेशानी हो रही है.
नगर निगम से ठोस कदम उठाने की मांगशिमला नागरिक सभा के अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा का कहना है कि बंदरों के आतंक से शहरवासी परेशान हैं और नगर निगम इस पर कोई कदम नहीं उठा रहा है. उन्होंने कहा कि एक सप्ताह पहले मेयर को इस समस्या को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा गया था. लेकिन नगर निगम ने कोई कदम नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि नगर निगम का बंदरों के आंतक पर जो रवैया है वह सही नहीं है. उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने में भाजपा शासित नगर निगम गंभीर नहीं है. उन्होंने मांग की कि नगर निगम ठोस कदम उठाते हुए लोगों को बंदरों के आतंक से राहत दिलाए.

आये दिनों शहर में बंदरों के काटने के मामलों में लगातार हो रहा इजाफ़ा
नगर निगम ने खड़े किए हाथ
बता दें कि केंद्र सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित किया है और इन्हें मारने की इजाजत दी है. लेकिन न तो सरकार और न ही नगर निगम इसमें पहल करता हुआ नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि नगर निगम ने तो सीधे-सीधे हाथ खड़े कर दिए हैं. नगर निगम की मेयर कुसुम सदरेट के मुताबिक वे इन बंदरों को लेकर कोई कदम नहीं उठा सकतीं. उनका कहना है कि वह केवल वाइल्ड लाइफ विंग को कह भर सकती हैं कि कार्रवाई करे.
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