चंबा में लगी आग.
हिमाचल में भीषण गर्मी का सबसे सबसे खामियाजा वन संपदा को भुगतना पड़ता है. प्रदेश का हरा सोना धू-धू धु कर जलने से आग में स्वाह हो जाता है. प्रदेश का पारा चढ़ने से जगलों में लगने वाली आग की घटनाओं में इजाफा हो जाता है.
वनों में लगने वाली आग की घटनाओं की अगर बात करें तो बीते वर्ष की अपेक्षा इस साल 1 जून तक 90 फीसदी कमी दर्ज की गई है. 1 जून तक प्रदेश के वनों में 264 आग की घटनाएं हो चुकी है, जिससे 1380 हैक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है.
इस बार कम घटनाएं
वहीं, बीते साल 1 जून तक 2300 आग की घटनाएं सामने आ चुकी थी जिससे 24000 हैक्टेयर वन भूमि पर वन संपदा को नुकसान हुआ था. प्रदेश वन विभाग के प्रधान मुख्य अरण्यपाल (पीसीसीएफ) अजय कुमार ने कहा कि बीते वर्ष की तुलना में इस बार 1 जून तक 90 फीसदी कमी आई हैं. अभी तक प्रदेश में 11 फीसदी आग घटनाएं सामने आई है.
विभाग उठा रहा कदम
वन बल प्रमुख अजय कुमार ने कहा कि बीते साल की अपेक्षा इस साल वनों में लगने वाली आग की घटनाओं में काफी कमी आई है. अजय कुमार का दावा है कि वनों की आग पर रोक लगाने के लिए विभाग द्धारा उठाए गए कारगर प्रयासों का परिणाम है.
‘वन विभाग को सूचित करें’
अजय कुमार ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि वनों की आग पर रोक लगाने के लिए जलती हुई चीज को जंगल में न फेंकें. आग लगने पर तुरंत वन विभाग को सूचित करें और बुझाने में अपना सहयोग दें, जिसे बहुमुल्य वन संपदा को आग के हवाले होने से बचाया जा सके. गौरतलब है कि वन विभाग सेटेलाइट से भी निगरानी कर रहा है, लेकिन वनों की आग के मामले कम नहीं हो रहे हैं.
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