हिमाचल प्रदेश विधानसभा में एक बार फिर से न्यूज 18 की खबर की गूंज सुनाई दी.
शिमला. हिमाचल प्रदेश विधानसभा (Himachal Assembly Session) में एक बार फिर से न्यूज 18 की खबर की गूंज सुनाई दी. न्यूज 18 ने हिमाचल में फर्जी डिग्री के खेल का पर्दाफाश किया था. इस मामले पर शुक्रवार को शिमला (Shimla) में विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन कांग्रेस विधायक राजिंद्र राणा ने नियम 62 के तहत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया.
राजिंद्र राणा ने फर्जी डिग्री मामले में बुरी तरह फंसी मानव भारती यूनिवर्सिटी के खिलाफ सरकार की ओर से अब तक की गई जांच पर सवाल उठाए, साथ ही पूर्व की धूमल सरकार पर भी सीधे हमले किए. राणा ने बड़े पैमाने पर मिलीभगत और आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया. राणा ने कहा कि ये करीब 20 हजार करोड़ का घोटाला है, जो शिक्षा के क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा घोटाला है, इस मामले में विभिन्न राज्यों के साथ साथ विदेशों में भी लाखों डिग्रियां बेची गई हैं.
क्या बोले कांग्रेस विधायक राणा
राजिंद्र राणा ने कहा कि 2008 में तात्तकालीन धूमल सरकार प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट लेकर आई थी. निजी विवि खोलने के लिए नियम और शर्तें तय की गई थीं. जिस व्यक्ति ने मानव भारती यूनिवर्सिटी को शुरू किया, उस व्यक्ति पर पहले ही फर्जीवाड़े के 3 मामले दर्ज थे. वो व्यक्ति 1998 में बिलासपुर,सोलन और हमीरपुर में वोकेशनल कोर्स चलाता था, उस दौरान इस व्यक्ति पर 420 के मामले दर्ज हुए, उसके बाद करनाल में भी इसी तरह का मामला दर्ज हुआ. 2008 में धूमल कैबिनेट ने दो बार यूनिवर्सिटी खोलने के आवेदन को खारिज कर दिया, लेकिन तीसरी बाद मंजूरी दे दी. वो भी पिछला आपराधिक रिकार्ड चैक किए बिना ही. उन्होंने कहा कि इस मामले पर अभी बहुत कुछ निकलना बाकी है, बड़े लोगों की इस में मिलीभगत है और सरकार अपने लोगों को बचाने में जुटी हुई है.
पहले जांच से इंकार किया था
राणा ने कहा कि 2019-20 में जब यूजीसी की ओर से फर्जी डिग्री के मामले पर चिठ्ठी आई थी तो उस वक्त जय राम सरकार ने जांच से इनकार किया था. शुरूआत में मानव भारती यूनिवर्सिटी को क्लीन चिट दी थी. तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने उस पत्र को गुमनाम पत्र करार दिया था. उन्होंने ये भी कहा कि उस पत्र में शिमला स्थित एपीजी यूनिवर्सिटी का नाम भी था, एपीजी के खिलाफ जांच में क्या निकल कर आया, इसका कोई पता नहीं है और न ही सरकार ने इस बारे में कोई जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए, सीबीआई जांच इसलिए भी होनी चाहिए क्योंकि इस खेल की जड़े बहुत से राज्यों में फैली हुई है.
सदन में शिक्षा मंत्री ने बताया कितनी डिग्रियां फर्जी
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने इसका जबाव दिया और राणा के सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया. उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व की कांग्रेस की सरकार के समय में 2016 में ये मामला सामने आया था लेकिन कांग्रेस सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया.उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने कदम उठाए होते तो इतना बड़ा फर्जीवाड़ा नहीं होता. शिक्षा मंत्री सदन में दिए अपने जबाव में कहा कि जांच में पता चला है कि मानव भारती यूनिवर्सिटी ने अब तक 41 हजार 479 डिग्रियां आबंटित की हैं जिनमें 5455 डिग्रियां ही वैध हैं और 36 हजार 24 जाली डिग्रियां बांटी गई हैं. इस मामले की जांच जारी है.
लुक आउट नोटिस जारी किए
उन्होंने कहा कि जांच के दौरान पुलिस ने 64 हार्ड डिस्क और 12 मोबाइल फोन मानव भारती विवि से कब्जे में लेकर SFSL जुन्गा को भेजे हैं. जांच के दौरान ये भी पता चला है कि मानव भारती यूनिवर्सिटी के मालिक राज कुमार राणा और इसकी पत्नी अश्वनी कंवर द्वारा मानव भारती चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम से खरीदी गई 115.02 बीघा जमीन जिला सिरमौर में और सोलन जिला के लाडो सुल्तानपुर में 35.4 बीघा संपत्ति को संबंधित जिला उपायुक्त से पत्राचार कर के रिकॉर्ड में रेड एंट्री दर्ज करवाई है. राज कुमार राणा और उसके परिवार के लोगों के बैंक खातों और ट्रस्ट के खातों की जांच की जा रही है. इसके अलावा इसकी पत्नी और बेटी जो ऑस्ट्रेलिया में हैं, उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किए गए हैं. शिमला की एपीजी यूनिवर्सिटी के मामले पर उन्होंने कहा कि जांच जारी है और जल्द ही इसकी भी रिपोर्ट साझा की जाएगी.
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