तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप ने हिमाचल में भी कुछ ऐसी ही प्रलय की यादें ताजा कर दी हैं.
शिमला. तुर्की और सीरिया में जबरदस्त भूंकप (Turkey Earthquake) से सैंकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. लगातार मौत के आंकड़ा बढ़ रहा है. वहीं, तुर्की में सोमवार के दिन तीन बड़े झटके लगे. सभी झटकों की तीव्रता 6 रिक्टर स्केल से ज्यादा थी. ऐसे में वहां जान माल का भारी नुक्सान हुआ है. तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप ने हिमाचल में भी कुछ ऐसी ही प्रलय की यादें ताजा कर दी हैं.
दरअसल, हिमाचल प्रदेश में भी तुर्की जैसा भूकंप आ चुका है. 4 अप्रैल 1905 में यह भूकंप आया था और दावा किया जाता है कि इस दौरान कांगड़ा की धरती 7.8 रिक्टर स्केल की तीव्रता से डोली थी और जिला पूरी तरह से तबाह हो गया था. 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा, साल 1975 में किन्नौर में भी तगड़ा भूकंप आया था. इसके अलावा, वर्ष 1906 में 28 फरवरी को कुल्लू में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था. अगर आज के समय में इसी तरह का भूकंप आया है तो क्षति 50 गुना बढ़ जाएगी.
हिमाचल प्रदेश में भूकंप (Earthquake) के लिहाज से बेहद संवेदनशील जोन में आता है. भूकंप की दृष्टि से हिमाचल संवेदनशील जोन-5 में आता है. हिमाचल प्रदेश में साल 2022 में 50 से अधिक छोटे-बड़े भूकंप आ चुके हैं. साल 2021 के आखिरी महीनों में अक्तूबर और नवंबर में तो छह बार हिमाचल की धरती भूकंप से डोली थी.
चार जिलों में सबसे अधिक बार डोली धरती
हिमाचल में चंबा, कांगड़ा और किन्नौर सहित शिमला में सबसे अधिक भूकंप आते हैं. साल 2022 में जनवरी में एक रात में मंडी, कांगड़ा, कुल्लू और बिलासपुर में तीन बार धरती हिली थी. फरवरी में 13 तारीख को शिमला में भूकंप आया. इसी तरह अप्रैल महीने में 5 और 16 तारीख को चंबा और लाहौल स्पीति में धरती के भीतर हलचल से दहशत फैल गई. मंडी में पिछली साल 22 अप्रैल को भी भूकंप आया था. मई महीने में 8 तारीख को धर्मशाला में भूकंप आया. चूंकि हिमाचल प्रदेश एक हिमालयी राज्य है, लिहाजा हिमालयन रेंज में किसी भी जगह आए बड़े भूकंप का असर यहां हिमाचल में देखने को मिलेगा.
जम्मू-कश्मीर से लगती सीमा 23 प्रतिशत बार भूकंप का केंद्र
हिमाचल में लाहौल स्पीति और किन्नौर के अलावा चंबा का कुछ इलाका जनजातीय है. हिमाचल की सीमा पहाड़ी राज्य उत्तराखंड और दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर से लगती है. विशेषज्ञों का आकलन देखें तो लाहौल स्पीति जिला और जम्मू-कश्मीर से लगती सीमा 23 प्रतिशत बार भूकंप का केंद्र रही है. कांगड़ा (आठ प्रतिशत), किन्नौर (पांच प्रतिशत), मंडी (छह प्रतिशत), शिमला (छह प्रतिशत) और सोलन (दो प्रतिशत) भी भूकंप का केंद्र रहा है. हिमाचल के पास भूकंप की बेहद दुखदाई यादें हैं.
पिछले 100 साल 1300 बार कांपी हिमाचल की धरती
अगर पिछले 100 वर्षों की बात करें तो हिमाचल की धरती ने करीब 1300 बार भूकंप झेला. इनमें से 141 झटकों की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3 से 3.9 थी, 22 झटके 4 से 4.9 तीव्रता वाले और 43 झटके 5 से 5.9 तक की तीव्रता वाले थे, इतना ही नहीं विनाशकारी माने जाने वाले 6 से 6.9 सात झटके भी हिमाचल की धरती ने झेले. इससे भी बढ़कर भूकंप का एक झटके की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8 मापी गई.जोकि कांगड़ा जिला में 1905 में आया था.
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Tags: Earthquake, Earthquake News, Earthquakes, Himachal news, Syria, Turkey
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