मंडी. हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में संस्कृति सदन में सरदार पटले यूनिवर्सिटी के शुभारंभ को लेकर आयोजित समारोह उस वक्त ठहाकों से गूंज उठा जब सीएम जयराम ठाकुर ने अपने संबोधन के दौरान भरी सभा में सदर विधायक अनिल शर्मा की तरफ देखते हुए पूछा कि ’’मंडी से भाजपा के 10 ही विधायक हैं न.’’ सीएम के मजाकिया अंदाज में ऐसा कहते ही पूरी सभा ठहाकों से गूंज उठी. अनिल शर्मा भी मंच पर बैठे मुस्कुराते रहे. ठहाकों पर सीएम ने कहा कि हमने अनिल शर्मा के लिए काम किया और वोट मांगे हैं.
दरअसल, सीएम जयराम ठाकुर 1993 के चुनावों का जिक्र कर रहे थे. उन्होंने कहा कि 1993 में जब पंडित सुखराम का मुख्यमंत्री बनने का नारा चला था तो उन्हें पार्टी की तरफ से पहली बार चुनाव लड़ने का मौका दिया गया था. सराज जैसे क्षेत्र से हर बार पार्टी की जमानत जब्त हो जाती थी और उन्हें भी पहले ही चेता दिया गया था कि उनकी जमानत भी जब्त हो सकती है, लेकिन पहली बार चुनाव लड़ा और जमानत बचाने में कामयाब रहे. उस वक्त मंडी जिला से कांग्रेस को 9 सीटें मिली थी और एक सीट निर्दलीय ने जीती थी. आज वही परिस्थिति भाजपा की है. भाजपा की 9 सीटें और एक निर्दलीय विधायक भी भाजपा के साथ ही आ गए हैं.
बता दें कि सदर विधायक अनिल शर्मा 2017 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे. उन्हें कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया था. 2019 के लोकसभा चुनावों में उनके बेटे आश्रय शर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा. उसके बाद से ही अनिल शर्मा और भाजपा के बीच दूरियां बन गई, हालांकि, वो टैक्निकली भाजपा के विधायक हैं, लेकिन अपनी ही सरकार से खफा हैं. आगामी चुनावों से पहले अब अनिल शर्मा और उनके बेटे आश्रय शर्मा ने एक ही दल में रहने की बात कही है, लेकिन वो दल कौन सा होगा, यह अभी तय नहीं हो पाया है.
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