धर्मशाला में टल सकता है शीतकालीन सत्र, आज सर्वदलीय बैठक में होगा फैसला

हिमाचल विधानसा सत्र. (फाइल फोटो)
Winter Session in Himachal: वैधानिक प्रावधानों के तहत भी अभी सत्र जरूरी नहीं है. क्योंकि नियमों के तहत एक सत्र और दूसरे सत्र के बीच कम से कम छह महीने का अंतराल जरूरी होता है. जबकि हिमाचल में मानसून सत्र 18 सितंबर को ही समाप्त हुआ है. ऐसे में बजट सत्र काफी समय है.
- News18Hindi
- Last Updated: November 27, 2020, 7:24 AM IST
शिमला. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में शीतकालीन सत्र को लेकर संशय (Doubt) पैदा हो गया है. दरअसल, शीतकालीन सत्र धर्मशाला में 7 दिसंबर से 11 दिसंबर तक निर्धारित किया गया है, लेकिन प्रदेश में हर दिन बड़ी संख्या में कोरोना (Corona) के केस आ रहे हैं. इस वजह से अब सरकार विपक्षी दलों की राय लेकर सत्र को टालने या शिमला में करवाने के लिए विपक्षी दलों की भी सहमति प्राप्त करना चाहती है.
11 बजे से बैठक
इसी कड़ी में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने सर्वदलीय बैठक शुक्रवार को 11 बजे विधानसभा में बुलाई है, जिसमें नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, सीपीआईएम विधायक राकेश सिंघा और निर्दलीय विधायकों को भी बुलाया गया है. कोरोना की ताजा स्थिति को देखते हुए सरकार विपक्षी दलों से राय लेगी कि सत्र को करें या न करें. अगर ज्यादा जरूरी हुआ तो सत्र को धर्मशाला की बजाए शिमला में भी किया जा सकता है, ताकि धर्मशाला जाने के लिए अतिरिक्त प्रबंधन न करने पड़े.
क्यो बोले मंत्री सुरेश संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि जो भी सर्वदलीय बैठक में फैसला होगा उसी के तहत सरकार आगे चलेगी. इस वक्त काेविड 19 की एक विशेष परिस्थिति पैदा हुई है. साथ ही संवैधानिक प्रावधानों के तहत भी अभी सत्र जरूरी नहीं है. क्योंकि नियमों के तहत एक सत्र और दूसरे सत्र के बीच कम से कम छह महीने का अंतराल जरूरी होता है. जबकि हिमाचल में मानसून सत्र 18 सितंबर को ही समाप्त हुआ है. ऐसे में बजट सत्र काफी समय है.
11 बजे से बैठक
इसी कड़ी में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने सर्वदलीय बैठक शुक्रवार को 11 बजे विधानसभा में बुलाई है, जिसमें नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, सीपीआईएम विधायक राकेश सिंघा और निर्दलीय विधायकों को भी बुलाया गया है. कोरोना की ताजा स्थिति को देखते हुए सरकार विपक्षी दलों से राय लेगी कि सत्र को करें या न करें. अगर ज्यादा जरूरी हुआ तो सत्र को धर्मशाला की बजाए शिमला में भी किया जा सकता है, ताकि धर्मशाला जाने के लिए अतिरिक्त प्रबंधन न करने पड़े.
क्यो बोले मंत्री सुरेश संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि जो भी सर्वदलीय बैठक में फैसला होगा उसी के तहत सरकार आगे चलेगी. इस वक्त काेविड 19 की एक विशेष परिस्थिति पैदा हुई है. साथ ही संवैधानिक प्रावधानों के तहत भी अभी सत्र जरूरी नहीं है. क्योंकि नियमों के तहत एक सत्र और दूसरे सत्र के बीच कम से कम छह महीने का अंतराल जरूरी होता है. जबकि हिमाचल में मानसून सत्र 18 सितंबर को ही समाप्त हुआ है. ऐसे में बजट सत्र काफी समय है.