कमला अपने बगीचे में काम करती हुई
8 मार्च को हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाते हैं. महिला दिवस की महत्ता तब और बढ़ जाती है जब कोई महिला अपने दम पर मोर्चा लेती है और फतह करती है. आज के दिन हिमाचल प्रदेश के रामपुर बुशहर के समीप लगती निरमंड तहसील की महिला बागवान कमला को याद करना बेहद जरूरी है. कमला ने बागवानी के क्षेत्र में वह कर दिखाया जो आम आदमी की पहुंच से बाहर है. कमला ने अकेले दम पर अपने गांव सभौवा नावा में करीब 1000 पौधों का सेब बागीचा तैयार किया है. इस बगीचे में करीब 350 पौधे आधुनिक नई प्रजाति के पौधे भी विकसित किए. रेड चीफ, सुपर चीफ,आरगन स्पर प्रमुख हैं. उन्होंने साबित कर दिया कि महिलाएं भी बागवानी क्षेत्र में किसी से कम नहीं यदि मन में कुछ करने का पक्का जज्बा हो.
कमला बताती हैं कि सेब की आधुनिक प्रजातियां काफी लाभदायक हैं क्योंकि सेब का रंग और साइज अच्छा होता है तथा जुलाई के आखरी सप्ताह में फसल आ जाने से मुनासिब दाम भी मिल जाता है.
कमला ने बागवानी के गुर अपने स्वर्गीय पति से सीखे हैं जो कि बागवानी विश्व विद्यालय नौणी में एक अधिकारी थे. पति की मौत के बाद सारी जिम्मेवारी उन्हीं पर आ पड़ी और इस जुझारू महिला ने बिना किसी की सहायता के बागवानी का काम शुरु कर दिया.
कमला अपने बागीचे का सभी काम स्वयं ही करती है. पौधों के लिए गढ्ढे बनाना, पौधे रोपना, स्प्रे्, प्रूनिंग से लेकर ग्रेडिंग पैकिंग का सभी काम वे बाखूबी बिना किसी की सहायता से निपटा लेती हैं. केवल सेब ढुलाई के लिए उन्हें मजदूरों पर निर्भर रहना होता है.
कमला अपने क्षेत्र की महिलाओं के लिए एक मिसाल बन गई हैं. आसपास की अन्य महिलाएं अब उनसे जानकारी लेकर बागवानी के क्षेत्र में कदम रख रही हैं. इस जुझारु महिला बागवान का सबके लिए एक ही संदेश है कि लोग दूसरे के ऊपर निर्भर न रह कर अपना काम खुद ही करें खास कर महिलाएं आगे आएं.
(रामपुर बुशहर से आत्मा सिंह की रिपोर्ट)
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Tags: Himachal pradesh, International Women Day, Shimla
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