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इंजीनियर राजबहादुरः जिन्होंने चट्टानों को चीरकर बनाई थी दुनिया की सबसे खतरनाक तरंडा ढांक सड़क

हिमाचल की इन खतरनाक सड़कों पर ड्राइविंग के वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर देखे जा सकते हैं.

हिमाचल की इन खतरनाक सड़कों पर ड्राइविंग के वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर देखे जा सकते हैं.

Kinnaur Infamous Tranda Dhank Road: इंजीनियर राजबहादुर सिंह की स्कूलिंग देहरादून में हुई और बाद में उन्होंने लखनऊ पॉलिट ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

हिमाचल लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर राजबहादुर सिंह ने इस सड़क का निर्माण करवाया था.
किन्नौर के तरंडा ढांक की सड़क भारत को चीन की सीमा से जोड़ती है.
दुर्गम क्षेत्रों में सड़कों और पुलों के निर्माण का श्रेय पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर राजबहादुर को जाता है.

शिमला. हिमाचल प्रदेश अपनी खूबसूरती और भगौलिक विभिन्नताओं के लिए जाना जाता है. सूबे के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं है. हिमाचल की सर्पिली सड़कों पर सफर करना खतरनाक है. किन्नौर हो चाहे, लाहौल स्पीति, या फिर चंबा का इलाका…यहां पर सड़कों पर ड्राइविंग करने के लिए बड़ा जिगर चाहिए.

हिमाचल की इन खतरनाक सड़कों पर ड्राइविंग के वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर देखे जा सकते हैं. किन्नौर में काजा को जोड़ने वाले सड़क मार्ग को दुनिया के सबसे खतरनाक स़ड़क मार्ग के तौर पर जाना जाता है. किन्नौर की तंरडा ढांक के वीडियो इंस्टाग्राम और दूसरे सोशल प्लेटफार्म पर वायरल होते रहते हैं. लेकिन आज हम तरंडा ढांक मार्ग निकालने वाले इंजीनियर की कहानी बताने जा रहे हैं.

दरअसल, इस सड़क का निर्माण हिमाचल लोक निर्माण विभाग (PWD Department) के इंजीनियर राजबहादुर सिंह (Er. Raj Bahadur Singh) ने करवाया था.  उन्होंने किन्नौर के तरंडा ढांक का निर्माण कर भारत को चीन की सीमा से जोड़ा था. पीडब्ल्यूडी में बतौर इंजीनियर दुर्गम क्षेत्रों में कई सड़कों और पुलों के निर्माण का श्रेय राजबहादुर को ही जाता है. तरंडा ढांक के पास आमिर खान की हिट फिल्म लाल सिंह चड्ढा की शूटिंग भी हुई है. इस मार्ग की वीडियो इंस्टाग्राम पर काफी वायरल है.

जानकारी के अनुसार,  राजबहादुर का जन्म देहरादून के झंडा मोहल्ला में केदार सिंह और हेमावती देवी के घर हुआ था. राजबहादुर दो भाई-बहन थे. हिमाचल के चंबा से भी उनका नाता है और यहां चंबा के बकलोह कैंट से उन्होंने शादी की थी. इंजीनियर राजबहादुर सिंह के तीन बेटे हैं. बड़ा बेटा अजय ठाकुर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बैंक से मैनेजर रिटायर्ड है. छोटा बेटा सूबेदार भुवनेश्वर सिंह ठाकुर सेना से रिटायर्ड है और चंबा में रहते हैं. इसके अलावा, दूसरा बेटा संजय ठाकुर भी आर्मी में थे और उनकी मृत्यु हो चुकी है. राजबहादुर का ननिहाल सिरमौर के नाहन में है.

किन्नौर तरंडा ढांक व कई सड़कों का निर्माण

इंजीनियर राजबहादुर सिंह की स्कूलिंग देहरादून में हुई और बाद में उन्होंने लखनऊ पॉलिटेक्निक कॉलेज से इंजीनियरिंग की. साल 1951 से उन्होंने हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग में सेवाएं देनी शुरू कीं. साल 1970 के आसपास इंजीनियर राजबहादुर के नेतृत्व में किनौर की तरंडा ढांक निर्माण हुआ था. फेसबुक पर हिमाचल प्रदेश के लोकनिर्माण विभाग के एक अनाधिकारिक पेज पर उनकी कुछ तस्वीरें और जानकारी कुछ साथियों ने साझा की. अपनी पोस्ट में कुछ यूजर्स ने उनके जीवन के बारे में प्रकाश डाला और कहा कि वह अपनी ईमानदारी और जिंदादिली के लिए काफी फेमस थे. उनके नेतृत्व में पांगी, लाहौल, किन्नौर, काजा जैसे दुर्गम क्षेत्रों में सड़कों को निर्माण हुआ. साथ ही रामपुर-सराहन सड़क और रोहड़ू के पास पुल का निर्माण में उनकी अहम भूमिका रही.

PWD, HP Police HP roads

पीडब्ल्यूडी में बतौर इंजीनियर दुर्गम क्षेत्रों में कई सड़कों और पुलों के निर्माण का श्रेय राजबहादुर को ही जाता है.

राज बहादुर को उनके सहयोगी राजा के नाम से बुलाते थे. क्योंकि वह हमेशा मजदूरों की सहायता करने में आगे रहते थे. मजदूरों की आर्थिक मदद के लिए वे अपना वेतन तक खर्च कर देते थे. शिमला और किन्नौर और चंबा के बहुत से लोग राजबहादुर को व्यक्तिगत तौर पर जानते  हैं.

जीप दुर्घटना में दो कर्मियों के साथ हुई मौत
बताया जाता है कि 15 जनवरी 1975 को वह एक सड़क हादसे का शिकार हुए थे और उनकी मौत हो गई. वह जीप में अपने दो साथियों के साथ दिल्ली जा रहे थे. इस दौरान हरियाणा के जिला सोनीपत के पास जीटी रोड पर तेज रफ्तार ट्रक ने उनकी जीप को टक्कर मार दी और हादसे में राज बहादुर सिंह समेत तीन कर्मियों की मौत हो गई थी. उस समय इंजीनियर राजबहादुर सिंह 51 वर्ष साल के थे.

मजदूरों के मसीहा थे राजबहादुर
फेसबुक पर लोक निर्माण विभाग के पेज पर कुछ लोगों ने लिखा कि 1975 में शिमला के टुटीकंडी में राजबहादुर का अंतिम संस्कार किया था. इस दौरान प्रसिद्ध इंजीनियर राज बहादुर सिंह की अंतिम यात्रा में हिमाचल प्रदेश के उच्च स्तर के अधिकारियों समेत हजारों लोग शवयात्रा में शामिल हुए थे. हालांकि, राजबहादुर के बारे में मौजूदा दौर में कम ही जानकारी  उपलब्ध है. लेकिन 1975 में प्रकाशित हुई एक बुकलेट में कर्मयोगी नाम से उनके ऊपर लेख छपा था.

Tags: Himachal pradesh, Kinnaur News, Road Accidents, Roads, Shimla News

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