रिपोर्ट :- अखंड प्रताप सिंह ,कानपुर
कानपुर महानगर में शत्रु संपत्तियों को लेकर काफी लंबे समय से चली आ रही जद्दोजहद के बीच में जिलाधिकारी ने कानपुर में मौजूदा समय में 9 शत्रु संपत्तियां घोषित की हैं.जिसमें घाटमपुर की दो,ग्वालटोली स्थित दो संपत्तियां और जाजमऊ, सिविल लाइंस और हीरामन का पुरवा में 5 संपत्तियां शत्रु संपत्ति के रूप में सामने आई है.कानपुर की डीएम नेहा शर्मा ने बताया कि शहर में कुल 9 शत्रु संपत्तियां घोषित कर दी गई हैं.साथ ही अभी भी 88 अन्य संपत्तियों पर सर्वे जारी है.जिन्हें शत्रु संपत्ति की कैटेगरी में रखा गया है.अभी उन सब पर सर्वे चल रहा है.जैसे ही उनकी स्थिति साफ होगी तब उनको भी शत्रु संपत्ति की सूची में घोषित किया जाएगा.
तीन शत्रु संपत्ति घोषित होने की कगार पर
कानपुर महानगर में इन 9 शत्रु संपत्तियों के अलावा तीन और संपत्तियां शत्रु संपत्ति घोषित होने की कगार पर हैं.जिला शासन द्वारा इन तीनों संपत्तियों की जांच की जा रही है और यहां पर रह रहे लोगों को नोटिस भी जारी कर दिए गए हैं.जिला प्रशासन ने कस्टोडियन को भी इन तीनों संपत्तियों को लेकर आख्या लगा कर इनको शत्रु संपत्ति घोषित करने के लिए कहा है.वहीं कस्टोडियन के पास से पत्र आने के बाद इन तीनों संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया जाएगा और इन पर कस्टोडियन का कब्जा होगा.इन तीन प्रॉपर्टी में राम जानकी मंदिर भी शामिल है.
जाने क्या होती है शत्रु संपत्ति
ऐसे लोग जो देश के विभाजन के समय या फिर 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के बाद चीन या पाकिस्तान जाकर बस गए और उन्होंने वहां की नागरिकता ले ली हो,भारत के रक्षा अधिनियम, 1962 के तहत सरकार उनकी संपत्ति को ज़ब्त कर सकती है. ऐसी संपत्ति के लिये अभिरक्षक या संरक्षक (कस्टोडियन) नियुक्त कर सकती है.अतः देश छोड़कर जाने वाले ऐसे लोगों की भारत में मौजूद संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ कहलाती है.
क्या है शत्रु संपत्ति को लेकर नियम
देश में शत्रु संपत्ति को लेकर कुछ नियम भी है.जिनमें शत्रु संपत्ति अधिनियम,1968 के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो भारत में शत्रु संपत्ति के कस्टोडियन के रूप में नियुक्त है.केंद्र सरकार,उस कस्टोडियन/संरक्षक के माध्यम से, देश के राज्यों में फैली दुश्मन संपत्तियों को अपने कब्ज़े में लेने के लिये प्रयासरत है.
वर्ष 2017 में संसद ने शत्रु संपत्ति (संशोधन और सत्यापन) विधेयक, 2016 पारित किया, जिसमें शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 और सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत व्यवसायियों का निष्कासन) अधिनियम, 1971 में संशोधन किया गया.
इन संशोधनों के अनुसार:
यदि कोई शत्रु संपत्ति कस्टोडियन के अंतर्गत है, तो यह शत्रु, शत्रु विषयक अथवा शत्रु फर्म का विचार किये बिना उसके अंतर्गत ही रहेगी.यदि मृत्यु आदि जैसे कारणों की वज़ह से शत्रु संपत्ति के रूप में इसे स्थगित भी कर दिया जाता है, तो भी यह कस्टोडियन के ही निहित रहेगी.उत्तराधिकार का कानून शत्रु संपत्ति पर लागू नहीं होगा.शत्रु अथवा शत्रु विषयक अथवा शत्रु फर्म के द्वारा कस्टोडियन में निहित किसी भी संपत्ति का हस्तांतरण नहीं किया जा सकता.
कस्टोडियन शत्रु संपत्ति की तब तक सुरक्षा करेगा, जब तक अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप इसका निपटारा नहीं होता.
केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति के साथ कस्टोडियन, अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उसके द्वारा निहित शत्रु संपत्तियों का निपटारा कर सकता है और सरकार इस उद्देश्य के लिये कस्टोडियन को निर्देश जारी कर सकती है.
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