मैं हूं शिवानी दुर्गा, अघोरी तांत्रिक. मैंने कई वर्षों तक तंत्र का अध्ययन किया है, शमशान साधना की है. मैंने अपना जीवन लगाया यह समझने में कि तंत्र होता क्या है और यह किस तरह हमारे जीवन को बदलता है. तंत्र क्या है? तंत्र का अर्थ है बांधना. जीवन जीने की कला ही तो तंत्र है. लेकिन अगर आप एक औरत हैं और तंत्र पढ़ना चाहती हैं, साधना करना चाहती हैं, तांत्रिक होना चाहती हैं तो आपका जीवन आसान नहीं होगा.
मैंने तंत्र पढ़ा, उसको धारण किया, साधना की और फिर अपना अखाड़ा बनाना चाहा. मैं उस दुनिया में घुसी, जहां पहले से मर्दों का आधिपत्य था और वहीं से मेरे संघर्ष की कहानी शुरू हुई. 2016 में मैंने पहली बार नासिक कुंभ में हिस्सा लिया और अपना अखाड़ा बनाया. जो औरत अब तक एक अघोरी तांत्रिक के बतौर मर्दों के बीच मौजूद थी और उससे उन्हें कोई दिक्कत भी नहीं थी, जैसे ही उसने अपना अखाड़ा बनाकर स्वतंत्र रूप से काम करना चाहा, पुरुषों की नजरों में वह खटकने लगी. सब उसके दुश्मन हो गए. क्या धर्म और तंत्र की दुनिया औरत विरोधी नहीं है. यहां भी वही हालात हैं, जो बचपन में मेरे घर में थे, जो बाहर समाज में हैं, जो पूरी दुनिया में हैं. औरत हर जगह सिर्फ शरीर है और पुरुष उस पर सिर्फ अपना आधिपत्य चाहता है.
तंत्र की दुनिया में पहले भी औरतें रही हैं. उन्होंने तंत्र को समझने और साधना करने में अपना जीवन लगाया, लेकिन उन्हें कभी प्रमोट नहीं किया गया. अखाड़ों के अंदर पुरुष साधुओं का ही वर्चस्व है. वे न सिर्फ महिला साधुओं को नियंत्रित करते हैं, बल्कि उनका शारीरिक शोषण भी करते हैं. ज्यादातर अखाड़ों और तांत्रिकों की हकीकत ये है कि तंत्र की आड़ में वहां महिलाओं का शारीरिक शोषण होता है. एक बार मैं एक बंगाली बाबा के पास गई. उसने मेरे सीने पर अपना हाथ रखा और दबाने लगा. बोला कि यह साधना का हिस्सा है. मुझे बहुत गुस्सा आया. मैं वहां से भाग आई और दिल किया कि उसकी साधना उसके मुंह पर मार दूं. लेकिन मैंने जो किया, वो सिर्फ खुद को बचाना था. मैं उस बाबा को कोई सबक नहीं सिखा पाई. हमारे समाज में स्त्रियां बहुत शोषित और अपमानित हैं. वो पतियों के द्वारा पीटी जाती हैं, शादियों के अंदर भी उनके साथ बलात्कार होते हैं, घरों के बंदर बलात्कार होते हैं. इन साधुओं, तांत्रिकों के शोषण की दुकान ऐसी ही चोट खाई, सताई औरतों के कारण चलती है. वो तंत्र के नाम पर उन्हें अपने साथ सोने के लिए मजबूर करते हैं. कहते हैं कि हमारे साथ ये करोगी तो तुम्हारे सारे दुख दूर हो जाएंगे. स्त्रियां शोषित भी हैं और मूर्ख भी. मूर्ख न भी हों, समझती भी हों तो आखिर उनके पास रास्ता क्या है. जो अपना दुख दूर करने के लिए आती हैं, उनका भी शोषण होता है और जो खुद तांत्रिक बन साधना की दुनिया में प्रवेश करना चाहती हैं, वो तो मर्दों के कुचक्र में फंसती ही हैं.
मैंने तब तंत्र साधना शुरू की तो मर्दों के लिए मुझे अपने कुचक्र में फंसाना आसान नहीं था. तंत्र की दुनिया में वैसे भी ज्यादा पढ़ी-लिखी, बुद्धिमान स्त्रियां नहीं थीं. मैं हर तरह से सक्षम थी. मन से और दिमाग से मजबूत थी. मैंने शास्त्रों का अध्ययन किया था और मैं उसकी शक्ति से वाकिफ थी. मर्द तांत्रिकों को लगा कि वो मुझे बेवकूफ नहीं बना पाएंगे और मेरा शारीरिक शोषण भी नहीं कर पाएंगे. वो देख रहे थे कि मेरा प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है. मेरा शिष्यों की संख्या बढ़ रही थी. 2016 में नासिक कुंभ में मैंने अपना अखाड़ा बनाने की सोची.
मर्द तांत्रिकों की भीड़ मेरे पीछे लग गई. उन्होंने मुझे तरह-तरह का लालच दिया. कहा कि तुम्हें अखाड़ा बनाने की क्या जरूरत है. तुम तो भागवत कथा पढ़ो. हम तुम्हें एक साध्वी के रूप में लांच करेंगे. तुम्हें दुनिया का सारा ऐशो-आराम मिलेगा. तुम मौज से रहो, बढ़िया गहने-कपड़े पहनो, गाड़ियों में घूमो. हम तुम्हारी पब्लिसिटी करेंगे, बस तुम अपना अखाड़ा बनाने का इरादा छोड़ दो.
चाहे बाकी समाज हो या तंत्र की दुनिया, मर्दों को औरत को दुनिया के ऐशो-आराम और गहनों से लाद देने में कोई गुरेज नहीं है, लेकिन सिर्फ तब तक जब तक वे देने वाले हों और औरत लेने वाली, जब तक सत्ता, पैसा, बल उनके हाथ में हो. जब औरत सत्ता में हिस्सेदारी के लिए आवाज उठाती है, जब वो उनके टुकड़ों पर पलने की बजाय अपना वजूद बनाना चाहती है तो मर्दों को तकलीफ होने लगती है. कल तक जो मुझे ऐशो-आराम से लाद देना चाहते थे, आज मेरे खिलाफ खड़े हो गए. मुझ पर तमाम तरह के आरोप लगाए. मैंने भी हार नहीं मानी और आखिरकार अपना अखाड़ा बनाया- सर्वेश्वर शक्ति इंटरनेशनल वुमन अखाड़ा.
मेरा पूरा जीवन कभी न खत्म होने वाले संघर्ष की कहानी है. छठी क्लास में थी तो मां नहीं रहीं. पिता का उनकी किसी शिष्या के साथ अफेयर था और उन्होंने दोनों को साथ में देख लिया था. मां ने पिता को छोड़ देने, अपना स्वतंत्र जीवन जीने की बजाय मृत्यु का रास्ता चुनना बेहतर समझा.
मां नहीं रहीं तो पिता की वो शिष्या हमारी सौतेली मां बनकर जीवन में आ गई. उसके बाद से मेरी और मेरी बहन की कहानी में सुख का कोई कतरा शायद ही कभी आया हो. हर चीज के लिए रोज लड़ना होता था. पिता पूरी तरह उस स्त्री के वश में थे. वो हम बहनों पर बिलकुल ध्यान नहीं देते थे. बड़ी हुई तो कॅरियर बनाने के लिए मुंबई गई. वहां मेरे एक रिश्तेदार ने मुझे बार में बेचने की कोशिश की. मैं तो गाना गाने आई थी, बार में नाचने नहीं. मैं बहुत अच्छा गाना गाती थी, दिखने में सुंदर थी. यहां कुछ-कुछ काम मिला, लेकिन काम देने वाला हर व्यक्ति औरत के कपड़ों में हाथ डालना अपना अधिकार समझता था. मैं हर जगह से बचकर भागी. कितनी बार ऐसे मौके आए कि जब में फूटी कौड़ी नहीं होती थी और पेट में भूख. सुबह खाना खाती तो पता नहीं होता था कि रात में खाना मिलेगा या नहीं. ये सब तकलीफें दूर हो सकती थीं. शर्त सिर्फ एक थी- जो मर्द काम दे, उसके सामने अपने कपड़े उतारने होंगे.
जब आपका दुनिया में कोई नहीं होता, आपके पास मजबूत बैकअप नहीं होता, जब आप अकेले, मजबूर और बेबस होते हैं तो मर्द के ज्यादा आसान शिकार होते हैं. जिस लड़की के पास लौटकर जाने के लिए कोई जगह हो, जिसका हाथ पकड़ने वाला कोई हो, वो ज्यादा ताकत से सीने में हाथ डालने वाले को पलटकर तमाचा रसीद कर सकती है. उस शहर में मैं रोज लड़ती अपने आप से, दुनिया से कि बस किसी तरह जिंदा रह सकूं.
और उन्हीं दिनों में मुझे बृज कथूरिया मिला. एक आदमी, जिसने सीधे कहा कि मुझसे शादी करेगा. जिस सुबह बृज कथूरिया ने शादी का प्रस्ताव रखा, उसी सुबह मैं अपने शरीर का सौदा करने जा रही थी क्योंकि मुझे अपना और अपनी बहन का पेट भरना था.
उस एक फोन ने मुझे बचा लिया था. मुझे लगा कि यह लिखा हुआ था. यह नियति थी. यह 1996 का साल था. मैंने शादी कर ली. इसलिए नहीं कि मैं उस शादी से बहुत खुश थी. इसलिए क्योंकि अगर अपनी देह बेचने और शादी करने के बीच किसी एक चीज को चुनना हो तो कोई भी लड़की शायद दूसरा रास्ता ही चुनेगी. शादी के बाद पता चला कि बृज कथूरिया एक क्रिमिनल है और उसके खिलाफ पुलिस के कई मुकदमे हैं. उसने खुद मुझे कहा कि उसे शादी के लिए कोई खूबसूरत और सीधी लड़की चाहिए थी. उसकी शर्त लगी थी कि मैं इससे शादी करके दिखाऊंगा. वो शर्त जीत गया था और मैं एक बाद एक बाद जिंदगी हारती जा रही थी. मैं 18 साल उस शादी में रही और वो 18 साल नर्क के साल थे. मेरा पति क्रिमिनल था, मुझे गालियां देता था, शराब पीकर मारता था और मैं ये सबकुछ सहती क्योंकि दुनिया में मेरा कोई और सहारा नहीं था, क्योंकि बाहर के दरिंदों से मुझे अपने पति से भी ज्यादा डर लगता था. मैं सबकुछ सहते हुए अपनी बेटी को पाल रही थी. इस बीच कितनी बार मर जाने का ख्याल आया, लेकिन मैं मरी नहीं.
मैं कई बार सोचती कि जरूर पिछले जन्म में मैंने कोई बहुत बड़ा पाप किया होगा, जो मुझे ये सब सहना पड़ा. मन की शांति के लिए मैं अध्यात्म की ओर मुड़ गई. शास्त्रों का अध्ययन शुरू किया और वहीं से तंत्र की दुनिया में कदम रखा. मैंने तंत्र का अध्ययन करने के लिए इस्कॉन जाना शुरू किया ये सब मैं अपने पति से छिपाकर करती थी. अगर उसे पता चल जाता तो वो मेरी हड्डियां तोड़ देता.
धर्म ने मुझे शक्ति दी. तंत्र ने अध्ययन और समझ ने मुझे बल दिया और आखिरकार 2014 में मैंने बृज कथूरिया का घर छोड़ दिया और नए सिरे से जिंदगी शुरू की. तांत्रिक साधना का बल मेरे साथ था.
आज इतना वक्त गुजर चुका है. अतीत अब भी कई बार सपने में आकर डराता है, बीता हुआ कुछ कहीं जाता नहीं. लेकिन मैंने अपनी राह बना ली है और औरतों से यही कहती हूं कि पुरुषों के सहारे की बजाय खुद शास्त्रों का अध्ययन करो, ज्ञान हासिल करो. ज्ञान से तुम्हें बल मिलेगा. उस बल से तुम जीवित रह सकोगी. स्त्रियों, ज्ञान के एवज में मिलने वाली संसार की सारी संपदाओं को ठुकरा दो.
ये भी पढ़ें-
Human Story: मैं चाहता हूं कि अंकित बस एक बार सपने में आकर मुझसे बात कर ले
Human Story: औरतों का डॉक्टर होना यानी देह के परे स्त्री को एक मनुष्य के रूप में देखना
मैं एक प्राइवेट डिटेक्टिव- मेरा काम लोगों की जासूसी करना, उनके राज खोलना
फेमिनिस्टों को क्या मालूम कि पुरुषों पर कितना अत्याचार होता है ?
कभी मैडमों के घर में बाई थी, आज मैडम लोगों पर कॉमेडी करती है
मिलिए इश्क की एजेंट से, जो कहती हैं आओ सेक्स के बारे में बात करें
प्यार नहीं, सबको सिर्फ सेक्स चाहिए था, मुझे लगा फिर फ्री में क्यों, पैसे लेकर क्यों नहीं
एक अंजलि गई तो उसके शरीर से पांच और अंजलियां जिंदा हो गईं
मैं दिन के उजाले में ह्यूमन राइट्स लॉयर हूं और रात के अंधेरे में ड्रैग क्वीन
'मैं बार में नाचती थी, लेकिन मेरी मर्जी के खिलाफ कोई मर्द मुझे क्यों हाथ लगाता'
घर पर शॉर्ट स्कर्ट भी पहनना मना था, अब टू पीस पहनकर बॉडी दिखाती हूं
इस सीरीज़ की बाकी कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए human stories पर क्लिक करें.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Human story
FIRST PUBLISHED : October 11, 2018, 13:18 IST