रिपोर्ट – सुमन भट्टाचार्य
जामताड़ा. आरोप लगाए जा रहे हैं कि झारखंड के जामताड़ा जिला पशु तस्करों के लिए सेफ जोन बन गया है. बंगाल सीमा सटे रहने के कारण पशु तस्कर इसका पूरा फायदा उठाते हैं. जानकारी के अनुसार, पशु तस्कर जामताड़ा जिला के नाला कुंडहित इलाके से गायों को खरीद कर कुंडहित थाना अंतर्गत पहाड़गोड़ा नहर के रास्ते खजुरी, खुदमल्लिका होते हुए पैदल सभी जानवरों को सीमावर्ती राज्य पश्चिम बंगाल के राजनगर थाना अंतर्गत राजनगर ले जाकर बिक्री करते हैं.
आरोप यह भी लगाए जा रहे हैं कि ये पशु तस्कर कभी-कभी कुंडहित थाना अंतर्गत बाबुपुर से इंद्र पहाड़ी जंगल होते हुए अमलादही के रास्ते पैदल सभी जानवरों को सीमावर्ती राज्य पश्चिम बंगाल के राजनगर ले जाकर गोवंश पशुओं की तस्करी करते हैं. ये क्षेत्र पशु तस्करों के लिए सेफ जोन है. प्रति सप्ताह हजारों की संख्या में पशुओं की तस्करी होती है, जिसे पश्चिम बंगाल के राजनगर में हर गुरुवार को लगने वाले हटिया में बेचा जाता है.
बता दें कि 22 नवंबर 2005 को झारखंड में गोवंश हत्या प्रतिषेध अधिनियम को मंजूरी दी गई. इस अधिनियम के तहत गाय-बैल को राज्य से बाहर ले जाने पर प्रतिबंध है लेकिन नियम बनने के बाद भी गौवंश पशुओं की तस्करी जारी है. इस संबंध में स्थानीय लोगो का कहना है कि प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.
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पूर्व कृषि सह पशुपालन मंत्री सत्यानन्द झा बाटुल ने प्रशासन के संरक्षण में गौ तस्करी का आरोप लगाया और कहा कि इसके लिए पुलिस प्रशासन को मोटी रकम मिलती है. उन्होंने कहा कि पशुओं को राजनगर के रास्ते बंग्लादेश भेजा जाता है. पूर्व कृषि सह पशुपालन मंत्री ने कहा कि इसके खिलाफ कई बार आवाज उठाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. जब से बीजेपी की सरकार इस राज्य से गई है तब से पशु तस्करी की खुलेआम छूट मिल गई है. वहीं इस संबंध में नाला एसडीपीओ मनोज कुमार झा से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसकी सूचना मिली है. थाना प्रभारी इंस्पेक्टर को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.
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