नक्सली दुर्योधन महतो(फाइल फोटो)
रिपोर्ट – मृत्युंजय कुमार
बोकारो. चर्चा है कि 15 लाख का इनामी नक्सली कमांडर दुर्योधन महतो उर्फ मिथिलेश दा उर्फ अवधेश ने 27 जनवरी को पुलिस मुख्यालय पहुंचकर आत्मसमर्पण कर दिया है. हालांकि पुलिस मुख्यालय इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है. उत्तरी छोटानागपुर जोनल कमेटी भाकपा माओवादी संगठन के आनंद ने पर्चा जारी कर दुर्योधन को गद्दार करार दिया है. कहा जा रहा है कि नक्सली कमांडर दुर्योधन के राइट हैंड कहे जाने वाले कारू यादव के पुलिस गिरफ्त में आने के बाद और शारीरिक परेशानी को देखते हुए उसने ये कदम उठाया है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 7 से 8 महीने पूर्व सब जोनल कमांडर वीरसेन ने मिथिलेश की पत्नी के साथ छेड़छाड़ और बदतमीजी की थी. उसके बाद से ही मिथलेश का संगठन से मोहभंग हो रहा था. मिथिलेश को संगठन ने गद्दार करार देते हुए 15 जनवरी को संगठन छोड़ भागने की बात कही है. साथ ही कहा कि दुर्योधन ने 52 लाख नकद, 77000 रुपये तक का एक टेबलेट, 83 हजार का एक मोबाइल फोन सहित अन्य डिजिटल उपकरण अपने साथ ले गया है.
संगठन ने उसे रीजनल कमेटी की सदस्यता से निलंबित करते हुए गद्दार घोषित किया है. इनामी नक्सली दुर्योधन महतो के जिम्मे जिलगा सब जोन की कमान थी. उत्तरी छोटानागपुर जोनल कमेटी के अंतर्गत ऊपरघाट, झुमरा पहाड़ बिष्णुगढ़ व रामगढ़ के क्षेत्र जिलगा सब जोन में आते हैं.
इससे पहले भी कर चुका है सरेंडर
90 के दशक में छात्र संगठन से जुड़ कर माओवादी संगठन में दुर्योधन शामिल हुआ था. संगठन में समय गुजरने के साथ उसका कद बढ़ता गया. 2001 में उसे झारखंड रीजनल कमेटी का सदस्य बना दिया गया. वर्ष 2004 में उसने बाघमारा में गोपनीय रूप से पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया था. जेल से वर्ष 2013 में बाहर निकलने के बाद संगठन से माफीनामा लेकर वह दोबारा शामिल हो गया. वर्ष 2018 में उसे फिर झारखंड रीजनल कमेटी का सदस्य बनाया गया और जिलगा सब जून का जिम्मा उसे दिया गया. दुर्योधन महतो पर संगठन ने भी आरोप लगाया है कि वह सब जोन क्षेत्र में संगठन की मजबूती के लिए कार्य नहीं कर रहा था. अपनी जिम्मेदारी छोड़कर वह सिर्फ लेवी वसूली में लगा रहा. लेवी का ज्यादातर हिस्सा अपने रिश्तेदार को गुपचुप तरीके से भेजता था.
दुर्योधन के माध्यम से पुलिस को मिल सकती बड़ी कामयाबी
15 जनवरी को जब वह संगठन छोड़कर भागा तो इलाके में संगठन के सब जोनल कमांडर ने लोगों को जाकर यह जानकारी दी कि दुर्योधन गद्दार हो गया है. इलाके में उसको किसी तरह की सहायता ना की जाए और लेवी देने वालों से भी उसे लेवी की रकम नहीं देने की चेतावनी दी गई. दुर्योधन के पुलिस मुख्यालय में आत्मसमर्पण की जानकारी पुलिस मुख्यालय भी बताने को तैयार नहीं है. क्योंकि ऐसे कयास लगाए जा रहा हैं कि दुर्योधन के माध्यम से पुलिस बड़ी कामयाबी हासिल कर सकती है. दुर्योधन ने बोकारो पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने के बजाय मुख्यालय को ही चुना क्योंकि बेरमो अनुमंडल क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों पर उसका विश्वास नहीं था.
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