रिपोर्ट: परमजीत कुमार
देवघर: बाबा बैद्यनाथ मंदिर से जुड़ी कई परंपरा व मान्यताएं प्रचलन में हैं. इन्हीं में से एक है गठजोड़ परंपरा. इसमें भगवान शिव और माता पार्वती के मंदिरों के शीर्ष को विशेष धागे से जोड़ दिया जाता है, इसे ही गठबंधन कहा जाता है. इस गठबंधन को साल में दो बार विधि-विधान के साथ खोला भी जाता है. एक दशहरा के समय और दूसरा महाशिवरात्रि से एक दिन पहले.
मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के एक दिन पहले पूरे विधि विधान के साथ इस गठबंधन को खोलकर नीचे उतारा जाता है. यह गठबंधन लाल रंग के धागे से किया जाता है. श्रद्धालू भी मंदिर में ही विशेष धागे को खरीदकर शिव-पार्वती के गठबंधन को बांधते हैं. इस धागे की कीमत 100 रुपये है, जो वहीं मिलता है. साल भर श्रद्धालु यहां आकर मनोकामना मांगते हुए गठबंधन चढ़ाते हैं.
सिर्फ भंडारी समाज को अधिकार
मंदिर के स्टेट तीर्थ पुरोहित श्रीनाथ पंडित ने बताया कि गठबंधन पंचशूल खोलने के पूर्व पंडा शिव शंकर भंडारी की अगुवाई में भगवान शिव एवं मां पार्वती के प्रेम के प्रतीक गठबंधन को खोला जाएगा. उसके बाद बाबा एवं माता मंदिर पर लगे पंचशूल को खोलकर नीचे लाया जाएगा. गठबंधन को बांधने और खोलने का अधिकार सिर्फ भंडारी समाज का होता है.
सरदार पंडा चढ़ाएंगे पहला गठबंधन
शिव एवं पार्वती मंदिर में पंचशूल लगने के बाद सरदार पंडा के द्वारा बाबा भोलेनाथ एवं मां पार्वती मंदिर के बीच पहला गठबंधन चढ़ाया जाता है. उसके बाद आम लोग गठबंधन चढ़ा सकते हैं. आम तौर पर हर रोज 10 से 15 गठबंधन बाबा मंदिर मे चढ़ते हैं. लेकिन, किसी खास पूजा-पाठ वाले दिन इसकी संख्या बढ़ भी जाती है.
गठबंधन खुलने के बाद इसके धागे की बड़ी मांग
शिव और पार्वती के बीच का गठबंधन महाशिवरात्रि से पहले खोला जाता है. इस धागे को लेने के लिए भक्तों के बीच होड़ लग जाती है. हज़ारों की संख्या में पहुंचे भक्त गठजोड़ पर टूट पड़ते हैं, जिनके हाथ ये गठजोड़ लगता है वे अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं. हालांकि, सारे गठबंधन को धागों को प्रशासन के द्वारा एक विशेष जगह रख दिया जाता है.
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Tags: Deoghar news, Jharkhand news, Lord Shiva, Mahashivratri
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