रिपोर्ट : परमजीत कुमार
देवघर. देवघर के आसपास के गांव के किसान इन दिनों बंदरों से परेशान हैं. वे बताते हैं कि खेतों में लगी फसलें बंदर नोंच दे रहे हैं. किसान कहते हैं कि ये सारी परेशानी रोपवे के बंद होने के बाद से शुरू हुई है. पहले त्रिकूट पहाड़ पर जो बंदर रहते थे, उन्हें पर्यटकों के द्वारा भरपूर खाना मिल जाता था. लेकिन रोपवे को सील करने से पर्यटकों की संख्या घटी है, नतीजतन बंदरों के सामने खाने की किल्लत हुई तो वे त्रिकूट छोड़कर खाने की तलाश में गांवों में भटकने लगे. रोपवे बंद होने के बाद गांव में आए बंदरों ने इस सीजन में रोपे हुए आलू की फसलें उखाड़नी शुरू कर दी है. बता दें कि देवघर में इसी साल अप्रैल महीने में त्रिकूट रोपवे हादसा हुआ था. जिसमें 3 पर्यटकों ने अपनी जान गंवाई थी. हादसे के बाद प्रशासन ने त्रिकूट रोपवे को सील कर दिया है.
ग्रामीण बताते हैं कि बंदर टोली बनाकर खाने की तलाश में आस-पास के गांवों में आने लगे हैं. मोहनपुर प्रखंड के बैजडीह, नवडीहा, पुझरडीह व सिरसा आदि गांवों में बंदरों की गतिविधियां बढ़ गई हैं. वहां खाने की जो भी वस्तु दिखती है उस पर वे टूट पड़ते हैं. चाहे वह घर में पकाया हुआ भोजन हो या किसानों द्वारा खेतों में लगाई गई फसल. बंदरों के उत्पात से ग्रामीण परेशान हो गए हैं.
सिसरा गांव के किसान फनीन्दर मिर्धा ने बताया कि सैकड़ों की संख्या में बंदर गांव पहुंच रहे हैं और फसलों को नष्ट कर रहे हैं. बंदरों के आक्रमण के कारण किसानों को भी खेत छोड़कर भागना पड़ता है. ये बंदर आलू के खेतों में ज्यादा उत्पाद मचा रहे हैं. वे रोपे हुए आलू उखाड़ देते हैं. कुछ खाते हैं और बाकी बर्बाद कर देते हैं. इसके अलावा खेतों में लगे धान की फसल भी चौपट कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि बंदरों को भगाने के लिए अब ग्रामीणों को पटाखे फोड़ना पड़ रहा है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Deoghar news, Jharkhand news, Rope Way