परमजीत कुमार
देवघर. त्रिकुट रोपवे हादसे के बाद यहां की तस्वीर पूरी तरह से पलट गयी है. कभी रोजाना हज़ारों सैलानियों से त्रिकुट पर्वत गुलजार रहता था. लेकिन हादसे के बाद सैलानियों की संख्या में काफी कमी आई है. हादसे के बाद पूरे इलाके का अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित हुआ है. त्रिकुट पहाड़ पर सैलानियों की गतिविधि होने से काफी लोगों की रोज़ी रोटी चलती थी. यहां मौजूद दुकानों में लोग शोपिंग करते थे. लेकिन लोगों के नहीं पहुंचने से दुकानदार खाली बैठे रहते हैं. वहीं, गाइड का काम करने वाले युवा भी मारे-मारे फिर रहे हैं.
त्रिकुट रोपवे हादसे के बाद यहां पर मौजूद दुकानों की स्थिति काफी दयनीय हो गयी है. गिफ्ट आइटम की दुकान संचालक मनोज कुमार ने न्यूज़ 18 लोकल से बताया कि हादसे के बाद से यहां मंदी छायी हुई है. अब पहले की तरह कमाई नहीं होती है. पहले हज़ारों लोग यहां घूमने आया करते हैं. लेकिन हादसे के बाद अब गिने चुने लोग ही यहां पहुंचते है. गाइड प्रमोद महतो ने बताया कि रोप वे चालू था तो रोजाना 1000-1500 रुपये की आमदनी हो जाया करती थी. लेकिन अब तो कई दिन बोहनी तक नहीं होती. सरकार को जल्द से जल्द रोप वे चालू करना चाहिए.
दरअसल त्रिकुट पर्वत पर शिव मंदिर है. माना जाता है रावण वहां हटयोग किया करता था. उस मंदिर के दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचते थे. 2009 में त्रिकुट पर्वत पर रोपवे चालू किया गया. जिसके बाद यहां पर्यटकों की गतिविधि काफी तेज हो गई. इससे कई लोगों को रोजगार भी मिला. देवघर वासियों के साथ-साथ बाहर से आए पर्यटक भी यहां आते थे और रोप वे का लुत्फ उठाया करते थे. लेकिन रोप वे बंद हो जाने से लोगों की गतिविधि कम हो गई है.
10 अप्रैल 2022 को रोप-वे हादसा हुआ था. अचानक ट्रॉली टूटने से 100 पर्यटकों की जान हवा में अटक गई थी. तीन सैलानियों की मौत भी हुई थी. 72 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में वायु सेना की भी मदद लेनी पड़ी थी. तबसे यहां रोप-वे ठप पड़ा है. करीब एक साल से यहां सैलानियो की गतिविधि काफी कम हो गई है.
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