जिले के गुड़ाबांधा प्रखंड स्थित गुड़ा गांव में 30 लाख की लागत से बने जलमीनार सफेद हाथी साबित हो रहा है. दो साल पहले गांव में जलमीनार का निर्माण हुआ. इससे सौ घरों में पानी की सप्लाई (Water Supply) होनी थी. लेकिन उद्घाटन के एक महीने बाद ही जलमीनार से पानी की आपूर्ति बंद हो गई. ग्रामीणों (Villagers) के अनुसार जलमीनार बनाने में ठेकेदार ने घटिया सामग्रियों का इस्तेमाल किया. जगह-जगह पाइप फट गये. अब जलमीनार के पीलरों में भी दरारें आ गई हैं.
गुड़ा गांव में नीर निर्मल परियोजना (ग्रामीण जलापूर्ति एव स्वच्छता परियोजना) के तहत सौ घरों में स्वच्छ पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था. इसके लिये सरकार ने वर्ष 2017 में जलमीनार का निर्माण कराया, लेकिन मात्र एक महीने चलने के बाद जलमीनार ने काम करना बंद कर दिया. पहले ग्रामीणों ने बताया कि जलमीनार में पानी नहीं भरने के लिए सोलर प्लेट को वजह बताया. सोलर प्लेट को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किया गया. इसके वावजूद टंकी में पानी नहीं भर रहा. अब गांव में बिछाये गये पाइप भी जगह-जगह फट चुके हैं. घरों में केवल टूटे हुए नल इस परियोजना की शोभा बढ़ा रहे हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि जलमीनार बनने से उन्हें काफी उम्मीदें थी कि स्वच्छ पानी के लिये अब उन्हें दूरदराज चापाकल के लिए भटकना नहीं पडेगा. लेकिन गांव में जलमीनार होते हुए भी, उन्हें पानी के लिये कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. ग्रामीणों ने बताया कि वे कई बार पीएचईडी विभाग के एसडीओ से जलमीनार को लेकर शिकायत की, लेकिन कोई देखने- सुनने वाला नहीं आया.
ग्रामीणों की माने तो अभी मशक्कत करने पर पानी मिल भी जाता है, लेकिन गर्मी में उन्हें बूंद-बूंद को तरसना पड़ सकता है.
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FIRST PUBLISHED : March 06, 2020, 13:16 IST