के पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी पहाड़ी इलाके के सड़कघुटू गांव की रहने वाली आदिवासी युवती इन दिनों शेरनी के नाम से चर्चा में हैं.
घाटशिला के मुसाबनी सड़कघुटू गांव की रहने वाली कांदोनी सोरेन गांव की महिलाओं के साथ पहाड़ी इलाके के करीबन 100 हैक्टयर जंगल की रक्षा कर रही है. कांदोनी की शारिरिक क्षमता भी इस तरह है कि लोग उसे जंगल की शेरनी कहते हैं.
तेज गति से जंगल में चलकर दूर-दूर तक वन की रक्षा करना शेरनी का रोजाना की दैनिक क्रिया है. शुरूआत में तो कांदोनी को कई जंगल के पत्थर और लकड़ी माफियाओं की धमकी मिली लेकिन अपनी जान की परवाह बिना किए ही कांदोनी सोरेन ने आस-पास के गावों की महिलाओ को मिलाकर वन रक्षा समिति बन कर जंगल की पहरेदारी करने लगी.
कांदोनी सोरेन ने सबसे पहले अपने गांव में हरियाली सकाम नाम से वन रक्षा समिति बनाई गई थी. हरियाली सकाम का मतलब होता है हरा पत्ता. जंगल में हरियाली रहे इसलिए इसका नाम ऐसा दिया.
पहाड़ी इलाके होने के कारण कांदोनी सोरेन को सरकार से कोई खास मदद नहीं मिलती है लेकिन कांदोनी को इस बात को कोई अफसोस भी नहीं है. वन विभाग से जो मदद मिल जाता है, उसे ही वो ज्यादा समझती है.
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FIRST PUBLISHED : August 08, 2017, 11:22 IST