घाटशिला. पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला अनुमंडल में उन माइन्स मज़दूरों की सांसें अब उखड़ने लगी हैं, जो एचसीएल आईसीसी कंपनी के अधीन हैं. बीते एक साल में अब तक गरीबी और बेबसी के कारण 13 मज़दूरों की मौत हो चुकी है. सोमवार को एक मज़दूर की मौत आर्थिक तंगी के कारण इलाज न हो पाने से हो गई. सुरदा माइन्स बंद हुए एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है, इससे 1500 मजदूर बेकार हो चुके हैं. मज़दूरों को देखने सुनने वाला कोई नही है.
गरीबी में इलाज न करवा पाने के कारण सुरदा माइन्स का मज़दूर एडविन ग्रेवियल (52वर्ष) जिंदगी की जंग हार गया. बताया गया है कि एडविन कुछ दिनों से गंभीर रूप से बीमार था. चिंता के कारण उसका शुगर लेवल भी बहुत ज़्यादा बढ़ गया था.
ऑक्सीजन न मिलने से हुई मौत
रविवार को जब उसकी तबीयत ज्यादा खराब हुई, तब उसके जीजा मोरेश ग्रेवियल उसे संत जोसेफ अस्पताल ले गये. वहां ऑक्सीजन न मिलने पर उसे मर्सी एमजीएम ले जाया गया. लेकिन ऑक्सीजन बेड वहां भी उपलब्ध नहीं हुआ और एडविन जिंदगी की जंग हार गया.

गरीबी के चलते इलाज के अभाव में माइन्स मज़दूर की मौत.
आर्थिक तंगी के भयानक हालात
एडविन की तरह अब तक बीते एक साल में 13 मज़दूरों की मौत हो चुकी है. अब भी कई ऐसे मज़दूर हैं, जिनकी हालत खराब है. माइन्स खुलने की उम्मीद में मज़दूर किसी दूसरी जगह भी काम करने नहीं जा रहे हैं. दूसरी ओर लॉकडाउन में मज़दूरों को स्थानीय रोज़गार भी नहीं मिल रहा है. एडविन की मौत के बाद उसकी दिव्यांग बहन की देखभाल करने वाला अब कोई नहीं रहा. बीते एक साल में आर्थिक तंगी से दम तोड़ने वाले मज़दूरों के नाम इस तरह हैं :
1- परशुराम साव - मुसाबनी पीडब्लूडी
2- सोना सबर - सुरदा
3- राजेश नामाता - सुन्दर नगर, मुसाबनी
4- आयाम सोरेन- रांगामाटिया, संथालपाड़ा
5- पीथो टुडू - सुरदा
6- जोशफ मुंडू - मुसाबनी
7- लेबो - चिरूदा
8- कृष्णा मुखी- सुरदा
9- कलम सबर- लावकेशरा
10- मधुवन नायक- टेटा बादिया
11- शिबू ( रामदास माझी) - मुसाबनी
12- संदीप राय - मेढिया
13- एम एडमीन - राम मंदिर मुसाबनी
आखिर क्यों बंद पड़ी हैं माइन्स?
एचसीएल ने लीज नवीनीकरण न होने का हवाला देते हुए माइन्स को बंद कर दिया है. लीज के नाम पर राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के बीच मामला अटका पड़ा है. , घाटशिला विधायक रामदास सोरेन ने माइन्स खोलने को लेकर कुछ कोशिशें ज़रूर की हैं. राज्य के मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक और विधानसभा में भी आवाज उठा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है.
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Tags: Coal mines, Ghatshila, Jharkhand news
FIRST PUBLISHED : April 27, 2021, 09:45 IST