पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी इलाके के पांच टोला गांवों के ग्रामीण पीने के पानी के लिए एक पहाड़ी झरने पर निर्भर है. गांव के लोग पहाड़ी झरने से ही अपनी सभी जरूरतों को पूरी करते हैं. गांव में कहने के लिए तो तीन हैंडपंप हैं, लेकिन दो खराब है और एक हैंड पंप से पूरे गांव को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता. हैंड पंप से खारा पानी निकलता है, जिससे परेशान ग्रामीण पहाड़ी झरने से पानी भरने के लिए मजबूर होते हैं.
झरने का पानी पीने के लिए मजबूर ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कई सालों से गांव के लोग इसी झरने का पानी पी रहे हैं. मानसून की बारिश के बाद यह पानी मटमैला हो जाता है, जिसे पीने से कई बार बीमारियां फैल जाती हैं, लेकिन इस पानी को पीने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है. धोबनी माइंस टोला, रमड़ागोडा, उलडाही, आहरचेतन टोला में करीब 100 से ज्यादा घर हैं. गांव की महिलाओं का कहना है कि उन्हें हर रोज करीब दो किलोमीटर दूर पहाड़ी झरने से पानी लाना पड़ता है. गांव की महिलाएं एक दिन में तीन बार पानी लाती हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि झरने को कुएं का रूप दे दिया जाए तो उन्हें काफी सुविधा होगी. पहाड़ों का पानी एक गड्डे में जमा होता है, जिसे ग्रामीण पीने के काम लेते हैं, लेकिन इस पानी में बरसात के दौरान बाहरी पानी मिलने से पानी खराब हो जाता है और पीने जैसा नहीं रहता है. ग्रामीणों का कहना है कि इस पानी को पीने से कई बार गांव वाले बीमार हो जाते हैं. अगर सरकार इस झरने पर कुंआ बना दे तो काफी हद से समस्या का समाधान हो जाएगा.
इस गांव में पीएचडी विभाग द्वारा पानी की टंकी भी बनाई गई थी, लेकिन वह पिछले पांच सालों से बेकार पड़ी है. पंप खराब होने के बाद से इस टंकी में पानी नहीं आया. ग्रामीणों का कहना कि अगर विभाग इस टंकी की मरम्मत कर दें तो लोगों को साफ पानी पीने के लिए मिल सकता है.
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FIRST PUBLISHED : June 26, 2018, 13:14 IST