झारखंड की गिरिडीह लोकसभा सीट में गिरडीह, बोकारो और धनबाद जिले के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है. यह क्षेत्र दुर्गम पहाड़ियों और जंगलों घिरा से है. मुगल सम्राटों का इस क्षेत्र पर शासन रहा. यह क्षेत्र अभ्रक और कोयला जैसे खनिज उत्पादन के लिए भी जाना जाता है. जैनियों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल पार्श्वनाथ भी इसी जिले में है, जो जिला मुख्यालय से 26 किलोमीटर की दूरी पर है. झारखंड की राजधानी रांची यहां से करीब 205 किलोमीटर दूर है.
कौन हैं प्रत्याशी
लोकसभा सीट में यह पहला मौका है जब देश के दो प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस का कोई प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं है. बीजेपी ने यह सीट ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (एजेएसयू) प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी को दी है. कांग्रेस ने जेएमएम प्रत्याशी जगरनाथ महतो को अपना समर्थन दिया है. क्षेत्रीय दल में जेवीएम भी जेएमएम प्रत्याशी के साथ है. वहीं जेडीयू ने बिहार में अपने गठबंधन को लेकर झारखंड में प्रत्याशी नहीं उतारने का निर्णय लिया है. विदित हो कि कुल 29 नामांकन पत्रों की बिक्री हुई थी, लेकिन इनमें से तीन जावेद अख्तर, सुबोध महतो तथा अजीत कुमार श्रीवास्तव ने नामांकन पत्र नहीं भरा.
चंद्र प्रकाश चौधरी के आने से शुरुआत में काफी नाराजगी देखी जा रही थी. खासतौर पर लगातार दो बार चुनाव जीते रविंद्र कुमार पांडेय के बारे में कहा जा रहा था कि वो बेहद नाखुश हैं. लेकिन आरएसएस के समर्थन के बाद धीरे-धीरे नाराजगी कम हुई है. पांडेय ने कहा था कि उनसे पार्टी उम्मीदवार तय करते वक्त राय तक नहीं ली गई. विधायक ढुल्लू महतो भी इस फैसले से नाराज थे.
चंद्र प्रकाश चौधरी
चंद्र प्रकाश चौधरी रामगढ़ से विधायक हैं. राज्य सरकार में मंत्री के पद पर हैं और एक बार हजारीबाग से सांसद का चुनाव 2009 में लड़ चुके हैं. हालांकि वो यह चुनाव हार गए थे. जगरनाथ महतो 2014 में गिरिडीह लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. उन्होंने मोदी लहर के बावजूद बीजेपी के रवींद्र पांडे को कड़ी टक्कर दी थी. दोनों उम्मीदवार कुड़मी जाति से हैं. गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में इस जाति विशेष लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है. लिहाजा दोनों के टारगेट में यह इसी जाति के वोटर हैं. जगरनानाथ महतो 2005 से लगातार तीसरी बार डुमरी से विधायक हैं.
पिछले चुनाव का हाल
2014 के चुनाव में बीजेपी के रविन्द्र कुमार पांडेय ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के जगरनाथ महतो को हराया था. रविन्द्र कुमार पांडेय को 3.91 लाख और जगरनाथ महतो को 3.51 लाख वोट मिले थे.
1989 में इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला और रामदास सिंह जीतने में कामयाब हुए. 1991 में यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास चली गई. बिनोद बिहारी महतो जीते. इसके बाद बीजेपी के रविंद्र कुमार पांडेय लगातार तीन बार 1996, 1998 और 1999 का चुनाव जीते. 2004 में कांग्रेस के टेकलाल महतो जीतने में कामयाब हुए. इसके बाद फिर बीजेपी के रविंद्र कुमार पांडेय लगातार दो चुनाव 2009 और 2014 का चुनाव जीते. 2009 में रविंद्र कुमार पांडेय ने टेकलाल महतो को लगभग एक लाख वोटों के अंतर से हराया था.
चुनावी सभा में भाषण देते जगरनाथ महतो
सामाजिक समीकरण
इस लोकसभा सीट के अन्तर्गत छह विधानसभा सीटें आती हैं - गिरिडीह, डुमरी, गोमई, बेरमो, तुंडी, बाघमारा. इस सीट पर मतदाताओं की संख्या करीब 1649413 लाख है. इसमें 877932 लाख पुरुष और 769764 लाख महिला मतदाता शामिल हैं.