रिपोर्ट: आदित्य आनंद
गोड्डा: बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए छठ महापर्व सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था का प्रतीक है. परंपरा के मुताबिक वर्ष में दो बार छठ पर्व मनाया जाता है. कार्तिक मास में छठ पर्व मनाया जाता है. वहीं चैत्र माह में भी छठ पर्व धूमधाम से मनाते हैं. इसी कड़ी में आज जिले के महागामा स्थित लक्षमण तालाब में चैती छठ व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया.
छठ व्रती ललिता देवी ने बताया कि वह साल में दो बाहर कार्तिक और चैत्र माह में छठ व्रत करती हैं. चैती छठ पूजा 3 वर्षों से करती आ रही हैं. इस बार 3 सुप उठाए हैं. चैत्र माह की छठ पूजा भी कार्तिक माह के छठ पर्व के जैसी ही होती है. इसमें भी उसी प्रकार से नियम, निष्ठा के साथ सभी विधि करनी होती है.
28 को होगा पारण
बताया कि 25 मार्च को नहाय खाय के साथ पर्व की शुरुआत हुई है. 26 मार्च को खरना पूजन किया गया. खरना पूजा प्रसाद ग्रहण करने के बाद से छठ व्रती महिलाएं अगले 36 घंटे तक निर्जला उपवास करती हैं. 27 मार्च को व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया. वहीं, 28 मार्च को घाट पर उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा. इसके साथ ही चैती छठ पर्व समाप्त हो जाएगा. व्रती उसके बाद पारण करेंगी. छठ पर्व में प्रसाद के रूप में मुख्य रूप से ठेकुआ चढ़ाया जाता है. साथ ही सूर्य देव को फल भी अर्पित किया जाता है.
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