रिपोर्ट- गौरव कुमार झा
गोड्डा. गोड्डा का ईसीएल कोल फील्ड (Coal Fields) ललमटिया पूरे देश मे विख्यात है लेकिन इसके बावजूद यहां अवैध कोयला का खदान खूब फलफूल रहा है. हम जिस अवैध खदान की बात कर रहे हैं वो खदान खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) के विधानसभा क्षेत्र बरहेट के घटयारी पंचायत में पड़ता है. दरसल गोड्डा के राजाभिट्ठा थाना क्षेत्र में पड़ने वाले इस कोयला खदान से हर रोज सैकड़ो बैलगाड़ियां कोयला लेकर निकलती हैं. मुख्य सड़क से करीबन 4-5 किलोमीटर अंदर जंगलों के बीच कोयले का ये धंधा खूब फल फूल रहा है.
स्थानीय लोगों की मानें तो करीबन 2-3 किलोमीटर का अंदर सुरंग हैं जो एक सुरंग से दूसरे सुरंग को जोड़ता है. ऐसी करीबन 3-4 सुरंगे हैं जिससे मजदूर कोयला निकालते हैं और ऊपर चट्टान पर ला उसे बैलगाड़ी पर लोड करते हैं और फिर ये अवैध माल वहां से मुख्य सड़कों तक आता है और बाजारों में बेचा जाता है. कोयला व्यवसायी कहते हैं कि ये अवैध काम जरूर है पर पेट पालने के लिए ये करना उनकी मजबूरी है और इसी मजबूरी का फायदा पुलिस उठाती है. फिलहाल तो पुलिस तंग नहीं कर रही हैं पर पहले पुलिस ने काफी तंग किया हैं.
यहां खदान तक तो पुलिस की गाड़िया आ नहीं पाती पर मुख्य सड़क पर पुलिस ने हमारी कई गाड़ियों को जब्त किया हैं और पैसे मांगे है, वहीं खदान के ठीक नीचे बसे गांव धोनीगोड़ा के निवासी सुखाय पहाड़िया ने बताया कि वर्ष 2004 में उनके ऊपर अवैध खदान चलाने का आरोप लगाया गया था और उसी आरोप के तहत उनपर केस भी किया गया. उन्होंने बताया कि कोयला उठाते बाहर के व्यापारी हैं और फंसाया ग्रामीणों को जाता हैं. आज भी कोयला बाहर से आने वाले लोग उठा रहे हैं लेकिन केस गांव वालों पर कर दिया जाता है.
अब सवाल ये होता है कि जब अवैध खदान चल रहा है और ग्रामीणों पर केस भी हो चुका है तो फिर खदान बन्द क्यों नही करवाया जा रहा है. खदान चारों ओर से पत्थरों से घिरा है और नीचे करीबन 60-70 फ़ीट गहरा खुदाई कर कोयला निकाला जा रहा है, जिससे पत्थर गिरने की भी संभावना बरकरार है, फिर भी जान को जोखिम में डाल ये काम चल रहा है.
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