रिपोर्ट :आदित्य आनंद
गोड्डा: आज माघी पूर्णिमा को लेकर गोड्डा के सुंदर नदी के तट पर आदिवासी ग्रामीण पूजा के लिए पहुंचे. ग्रामीण शनिवार की रात से ही सुंदर नदी के तट पर लगातार कीर्तन तथा पूजा पाठ कर रहे हैं. बिसाहा गांव के ग्रामीण दिलीप टुडू ने बताया कि माघी पूर्णिमा आदिवासी समुदाय में बहुत पवित्र पर माना जाता है जिसमे गंगा मां और शिव-पार्वती की पूजा होती है.
सुबह सूर्य उगने से पहले नदी में स्नान किया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार स्नान गंगा नदी में किया जाता है. लेकिन हर कोई गंगा नदी नहीं पहुंच पाता अतः गोड्डा में आदिवासी ग्रामीण सुंदर नदी में स्नान करते है . गौरतलब है की माघ माह के शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा के दिन माघी पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है . आदिवासी समुदाय में यह त्योहार विशेष रूप से मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता.
आदिवासी परंपरा में माघी पूर्णिमा की पूजा
आदिवासी परंपरा के मुताबिक माघ की पूर्णिमा के 1 दिन पहले आदिवासी ग्रामीण पास के नदी या गंगा नदी तट पर पहुंचते हैं और रात से ही गाजे-बाजे के साथ गंगा मैया और शिव- पार्वती की पूजा प्रारंभ कर देते है . इस पूजा में एक थाली में नए धान से तैयार किया गया चावल ,पुष्प और पीतल की लोटे में गंगाजल लेकर आराधना की जाती है. इस दौरान मुख्य पुजारी उपवास रखते है ,ऐसा माना जाता है की उपवास के दौरान पुजारी पर माता का भाव आता है और उसके प्रभाव में आकार पुजारी झूमने लगते है. माता का प्रभाव जब पुजारी पर दिख जाता है तो तभी पूजा सफल मानी जाती है
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