रिपोर्ट : आदित्य आनंद
गोड्डा. जिले के बोआरीजोर प्रखंड के केसगढ़िया गांव में आजादी के बाद से अब तक बिजली नहीं पहुंची है. ग्रामीण बताते हैं कि हम बिना बिजली के ही रहते हैं और बिजली न होने की वजह से गांव में लोग मोबाइल भी यूज नहीं कर पाते है. रोशनी के लिए गांव वाले सोलर प्लेट का इस्तेमाल करते हैं. दिनभर सोलर प्लेट से बैटरी चार्ज कर रात में बल्ब जलाते है. वहीं जिस दिन धूप नहीं होती, उस रात अंधेरे में गुजारना पड़ता है.
गांव के सुखदेव पहाड़िया बताते हैकि गांव में बिजली नहीं होने की वजह से हमारे बच्चे पढ़ाई भी सही से नहीं करते है और न ही गांव में मोबाइल का प्रयोग हो पाता है. क्योंकि गांव में नेटवर्क तो पहुंचता है लेकिन मोबाइल चार्ज करने की कोई व्यवस्था नहीं है. गांव के एक दो लोग मोबाइल फोन इस्तेमाल करते है तो वह भी नीचे दूसरे गांव जाकर मोबाइल चार्ज करवाते है.
सिर्फ वादों में मिली बिजली
गांव के 60 वर्षीय मेषा पहाड़िया बताते है कि उनकी उम्र इस उम्मीद में कट गई कि शायद अगली बार चुनाव से पहले हमारे गांव तक बिजली पहुंच जाएगी. लेकिन हर बार नेता आते है, वादा करते है. फिर 5 साल तक कोई दर्शन ही नहीं देता है. पीडीएस डीलर मिट्टी का तेल भी नहीं दे रहा है. जिस वजह से घर में डिबिया, लालटेन जलाना भी मुश्किल हो गया है.
खनन कंपनी को चंद दिनों में मिला कनेक्शन
बोआरीजोर प्रखंड के केसगढ़िया गांव समेत आस पास के पहाड़ी इलाकों में कई अन्य गांवों की स्थिति बिजली के मामले में कमोवेश ऐसी ही है. जिसमें बाडोर, पकुरिया, जोगरा, बीचडुप्पा और पंचायत लीलतारी-1 शामिल है. जबकि ढाई महीने पहले शुरू हुए राशि कोयला खदान तक बिजली का पोल पहुंच चुका है. खनन कंपनी यहां कोयला निकाल रही है, लेकिन गांव को बिजली नहीं मिल पा रही है.
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