रिपोर्ट- रुपेश भगत
गुमला. बुलंद हौसला और दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो इंसान अपने बड़े से बड़े सपनों को साकार कर सकता है. यही इच्छा शक्ति बचपन से खेल में रुचि रखने वाले जिले के भरनो प्रखंड के सुदूरवर्ती इलाके लोण्डरा गांव की रहने वाली गरीब आदिवासी परिवार की बेटी सुमति कुमारी को अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी बनाने में सहायक बनी. सुमति इन दिनों गुमला जिला का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर रही है. सुमति कुमारी का चयन एएफसी महिला एशिया कप-2022 में भारतीय महिला फुटबॉल टीम के लिए हुआ है.
सुमति के पिता फ़ीरु उरांव ने बताया कि उन्हें बहुत गर्व है कि उनकी बेटी खेल की दुनिया में अपना नाम रौशन कर रही है. उन्होंने कहा कि उन्हें काफी खुशी महसूस होती है कि उनकी बेटी देश के लिए फुटबॉल खेल रही है और अपने परिवार के साथ- साथ पूरा देश का नाम रौशन कर रही है.
दो साल पहले सुमति की मां शनियारों उराईन की मौत हो गयी. पिता फीरु उरांव अशिक्षित होते हुए भी आसपास के बाजार में जाकर सूखी मछली बेचकर सुमति को स्कूल भेजते थे. स्कूल के फादर रामू भीमसेन मींज स्कूल में खेलकूद के दौरान सुमति की खेल प्रतिभा को देखकर,विद्यालय की फुटबॉल टीम में खेलने का मौका दिया. फिक क्या था सुमति के सपने में पंख लग गये. स्कूल के बाद सुमति जिला टीम में शामिल हुई. जिला टीम से निकलकर सुमति ने भारतीय महिला फुटबॉल टीम तक पहुंची. सुमति अभी एएफसी महिला एशिया कप 2022 की विशेष तैयारी कर रही है.
सुमति कुमारी एक अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी है, परन्तु आज भी उसका घर कच्चे मिट्टी का है. उसे पीएम आवास नहीं मिला है. सबसे बड़ी बिडंवना ये है कि सुमति के घर में शौचालय तक नहीं है. वह गांव आती है तो मजबूरन उसे खुले में शौच जाना पड़ता है. समति के घर तक पहुंचने के लिए कच्ची सडक से जाना पड़ता है. विकास के नाम पर उसके गांव में एक मात्र सरकारी स्कूल है, बाकी कोई भी सुविधा नही है. गांव के लोग खेती बाड़ी कर अपना जीवन यापन करते है.
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