रिपोर्ट- सुबोध कुमार गुप्ता
हजारीबाग. एलोपैथिक व होम्योपैथिक पद्धति से इलाज आपने खूब सुना होगा. इसके अलावा वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति भी है. जिसमें मरीज के नस, नाड़ी व हड्डी को बैलेंस कर इलाज किया जाता है. इसकी खासियत है कि मरीज को किसी प्रकार की दवा नहीं दी जाती है. हजारीबाग में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के डॉ मनोज कुमार कुशवाहा ने बताया कि इसके माध्यम से शरीर की सभी तरह की बीमारी का इलाज किया जा सकता है. मामला एक्सीडेंटल या कटा-फटा ना हो.
डॉ मनोज कुशवाहा एनएच 33 के पास आर्या नगर में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति का क्लीनिक संचालित कर रहे हैं. यहां हजारीबाग के साथ-साथ पूरे झारखंड, बंगाल व उत्तर प्रदेश से मरीज आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस पद्धति से 2 से 3 दिनों के इलाज में आंख से पावर का चश्मा उतर सकता है. इसके अलावा यदि आंख चोटील ना हो तो इसकी सभी तरह की समस्याओं का इलाज नस नाड़ी और हड्डी को बैलेंस कर संभव है.
बोल सकते हैं मूक बधिर
उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार का हड्डी दर्द, कान दर्द, छाती दर्द, गर्दन दर्द, घुटना दर्द, लकवा व मिर्गी के मरीज यहां आते हैं. इसके अलावा मूक बधिर बच्चों का भी इलाज किया जाता है. उन्होंने 2021 में सरला बिरला यूनिवर्सिटी रांची से वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में पीजी की डिग्री ली है.
एक दिन में उतर गया चश्मा
हजारीबाग के बड़कागांव से इलाज कराने पहुंचे 60 वर्षीय मोती राव ने बताया कि उन्हें घुटनों में दर्द की शिकायत है. दो दिनों के इलाज में काफी फायदा हुआ है. 3 साल का दर्द दो दिनों के इलाज में आधा कम हो गया. वहीं, विष्णु गड़ से आई बैजंती देवी ने बताया कि वह आंख से पावर का चश्मा उतरवाने आई है. तीन दिनों से आधा-आधा घंटे के लिए आ रही है.
पहले दिन के इलाज में ही चश्मा उतर गया. दो दिन और बुलाया गया है.
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