रिपोर्ट – सुबोध कुमार गुप्ता
हजारीबाग. एकीकृत बिहार-झारखंड की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी सरस्वती देवी की आज जयंती मनाई जा रही है. हजारीबाग जिले के दारू प्रखंड में स्वतंत्रता सेनानी सरस्वती देवी के नाम से उच्च विद्यालय की स्थापना की गई है. जिसके परिसर में 5 फरवरी को उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण कर जयंती मनाई जाएगी.
सरस्वती देवी 15 वर्ष की आयु में पहली बार एकीकृत बिहार झारखंड में महिला स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जेल गई थी. इनका जन्म 5 फरवरी 1901 हजारीबाग में हुआ था. इनका विवाह केदारनाथ सहाय हजारीबाग जिला के बख्शीडीह निवासी के साथ हुआ था. 15 वर्ष की आयु में गांधीजी के सत्याग्रह आंदोलन में पहली बार शामिल हुई थी.
गांधीजी ने इनके सत्याग्रह आंदोलन से प्रभावित होकर असहयोग आंदोलन में हजारीबाग के नेतृत्वकर्ता घोषित कर दिया. इन्होंने हजारीबाग से पूरे देश के लिए सती प्रथा, पर्दा प्रथा और जाति का विरोध किया था. इन्होंने हरिजन उत्थान के लिए पूरे एकीकृत बिहार झारखंड में कार्य किया था.
आर्थित तंगी से जूझ रहे परिवार
वर्तमान समय में स्वतंत्रता सेनानी सरस्वती देवी के वंशज हजारीबाग शहर के कांग्रेस ऑफिस रोड में निवास करते है जो आज माली हालत में अपना जीवन व्यतीत कर रहे है. स्वतंत्रता सेनानी सरस्वती देवी के वंशज डॉ भैया अनुपम कुमार कहते हैं कि मेरा पूरा परिवार भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अपना जीवन त्याग दिया लेकिन आज हमारे बचे हुए वंशज को कोई देखने वाला नहीं है. चार लोगों के फ्रीडम फाइटर का परिवार आज नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे है. सरकार इस पर गुंजाइश करें.
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