रिपोर्ट : सुबोध कुमार गुप्ता
हजारीबाग. अगर आपने हजारीबाग का इंटरनेशनल रामनवमी का जुलूस नहीं देखा है तो आपकी रामनवमी अधूरी मानी जाएगी. क्योंकि सैकड़ों झांकियां, लाखों की भीड़ और भीड़ में प्रदर्शन करते बच्चे-बच्चियां, युवा-युवतियां आपके मन को जीत लेंगे. आप हैरान रह जाएंगे जब तलवारबाजी करती लड़कियां और लाठी से करतब दिखाता बुजुर्ग की कलाकारी को देखेंगे.
इंटरनेशनल रामनवमी हजारीबाग में नवमी तिथि को नहीं बल्कि राम जन्मोत्सव पूरे भारत में समाप्त होने के बाद एकादशी को मनाई जाती है. हजारीबाग आर्ष कन्या गुरुकुल के छोटे-छोटे बच्चियां और बच्चे ने भगवा वस्त्र पहनकर रामनवमी की भव्यता बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. भगवा वस्त्र पहनकर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जन्मोत्सव के अवसर पर हाथ में तलवार, हाथों में डंडा और कंधे पर भुजाली लेकर सड़क पर निकल गए. बच्चे रामनवमी जुलूस के मुख्य मार्ग पर कभी पिरामिड बनाते तो कभी भगवान वीर बजरंगबली की तरह छातियों को फाड़ते हुए सड़कों पर दौड़ते नजर आए.
15 दिनों तक दिया जाता है कठिन प्रशिक्षण
लड़कियां रानी लक्ष्मीबाई की वेशभूषा धारण कर ऐसी तलवारबाजी करती हैं, जिसे देखने वाले लोग दांतों तले अपनी उंगली दबाने लगते हैं। आर्ष कन्या गुरुकुल के बच्चे अनाथ होते हैं। 16 वर्षीय छात्रा शान्ति कुमारी कहती हैं कि जब जब रामनवमी का अवसर आता है, तब आर्ष कन्या गुरुकुल हजारीबाग में 15 दिन पहले से लाठी, तलवारबाजी और भाला से करतब दिखाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. हालांकि, सालों भर गुरुकुल में लाठी और तलवारबाजी का प्रशिक्षण लड़कों के साथ-साथ लड़कियों को भी दिया जाता है.
रामलीला पर होता है भव्य प्रदर्शन
रामनवमी और हिंदू शौर्य दिवस के अवसर पर हम लोग हजारीबाग की सड़कों पर अपना प्रदर्शन करते हैं. इस परंपरा से हजारीबाग इंटरनेशनल रामनवमी की भव्यता और लोकप्रियता बढ़ाता है. जिसमें हम सभी अपना सहभागिता निभाते हैं. झांकियों का सिलसिला लगातार जारी रहता है. जबकि दूसरी ओर से लोग भगवान श्री राम और भगवान हनुमान के भजन पर झूमते नजर आते हैं
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