रिपोर्ट – आकाश कुमार
जमशेदपुर. लोक आस्था के महापर्व छठ का आज आखिरी दिन है. सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पर्व समाप्त हो गया. जमशेदपुर के विभिन्न घाटों पर छठ व्रतियों ने सूर्य भगवान को अर्घ्य अर्पित किया. चैती छठ झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में काफी श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाया गया. छठ व्रर्ती महा लक्ष्मी ने बताया कि छठ पर्व एक कठिन व्रत है. खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता है. चैती छठ गर्मी के दिनों में होता है. इस वजह से निर्जला उपवास करना कठिन होता है, लेकिन छठी मैया की कृपा से पर्व संपन्न होता है.
4 दिवसीय पर्व है छठ
साल में दो बार छठ पर्व को मनाया जाता है. एक कार्तिक माह में और दूसरा चैत माह में. जिसे चैती छठ के नाम से जाना जाता है. यह पर्व 4 दिवसीय होता है. पहला दिन नहाया खाए होता है. जिसे लोग कद्दू भात भी कहते हैं. इसमें प्रसाद के रूप में लोग कद्दू भात खाते हैं. दूसरे दिन खरना होता है. खरना में गुड़ वाली खीर बनाई जाती है. इसका भोग भी लगाया जाता है. फिर प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. तीसरे दिन छठ घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. फिर चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने की परंपरा है.
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